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The place of industries in the National Economy

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था National Economy

भारत एक कृषि प्रधान देश है किन्तु आज हम विकासशील कृषि की विस्तृत नींव पर उद्योगों का विशाल भवन खड़ा करने में लगे हुए हैं क्योंकि उद्योग किसी भी राष्ट्रकी आर्थिक स्थिति को सम्पन्न बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते है। उद्योगप्राकृतिक संसाधनों एवं वस्तुओं के मूल्य अभिवृद्धि में। सहायक होते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से भारत में औद्योगीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और आज भारत मात्र कच्चा माल निर्मित करने वाला राष्ट्र ही नही है वरन स्वनिर्मित माल का निर्यातक भी बन गया हैं।

वर्तमान में औद्योगिक आत्मनिर्भरता ही हमारी प्राथमिकता है। कृषि के क्षेत्र में भी उद्योग का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अपनी कृषिगत आवश्यकताओं में भी आज राष्ट्र सक्षम हो गया है। वर्तमान समय में हमारे देश में कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप आज भारत विश्व में एक प्रमुख औद्योगिक शक्ति के रूप में उभरा है।

    भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के योगदान(Contribution of Industries to the National Economy of India)

    1.कृषि यन्त्रीकरण में सहायक ( Agricultural mechanization assistant )-

    भारतीय कृषि में निम्न उत्पादन का मुख्य कारण परम्परागत साधनों से कृषि करना था, किन्तु उद्योगों के विकास से अब कृषक टैक्टर, थ्रेशर, ड्रिल मशीन एवं अन्य  कृषिगत मशीनों का प्रयोग कर कृषि उत्पादन में वृद्धि करने लगे हैं।

    2.कृषि उत्पादन में वृद्धि( Increase in agricultural production )-

    अब कृषक खेतों में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग करने लगे हैं। रासायनिक उर्वरकों के फलस्वरूप बहुफसलीकरण का कार्यक्रम संभव हो सका है। वही कीटनाशकों के प्रयोग से फसलों को नष्ट होने से भी बचाया जाने लगा है।

    3.राष्ट्रीय आय में वृद्धि( Increase in national income )-

     कृषि उत्पाद में हुई वृद्धि का प्रभाव हमारी राष्ट्रीय आय पर भी पड़ा है। राष्ट्रीय आय का लगभग 20 प्रतिशत भाग उद्योग से ही प्राप्त हो रहा है।

    4.निर्यात में वृद्धि( Increase in exports )-

    औद्योगीकीकरण के फलस्वरूप आज भारत विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग के सामान, कागज, सीमेंट, सूतीवस्त्र आदि का निर्यात करने लगा है। कम्प्युटर साफ्टवेयर के क्षेत्र में भी भारत का विशेष स्थान है। इलेक्ट्रानिक्स सामान का भी भारत से निर्यात होता है।

    5.रोजगार के अवसर( Employment opportunities)-

    भारत में उद्योगों के विकास के परिणामस्वरूप रोजगार पर भी प्रभाव पड़ा है। नए-नए उद्योगों के निर्माण से लाखों लोगों को वहाँ रोजगार प्राप्त हो रहे हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या दूर करने में भी सहायता मिल रहा है।

    6.प्राकृतिक संसाधनों का दोहन( Exploitation of natural resources )-

    उद्योग-धन्धों के विकास से देश की पूँजी में भी वृद्धि हुई है जिससे सरकार ने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आरंभ किया है। भारत में लौह-अयस्क, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस चूना पत्थर, कोयला, अभ्रक आदि के अपार भण्डार हैं। जिनका उपयोग और अधिक उद्योग धन्धों की स्थापना के लिए किया जा रहा है।

    7.परिवहन तथा संचार साधनों का विकास(development of transport and communication)-

    उद्योगों के विकास के साथ ही साथ परिवहन के साधनों का भी विकास होता है। कच्चेमाल तथा तैयार माल को लाने-लेजाने के लिए सड़कों व रेल लाईनों का जाल सम्पूर्ण भारत में बिछा है। संचार के भी आधुनिकतम साधन फैक्स, ईमेल, सेलफोन आदि का भी विकास हुआ है।

    8. कृषि के व्यावसायीकरण में सहायक ( Aids in the commercialization of agriculture )-

    उद्योगों के द्वारा कृषिगत कच्चे माल का प्रसंस्करण किया जाता है। जिससे कृषि का व्यावसायीकरण होने लगा है। इसी के फलस्वरूप चाय, कहवा, तम्बाकू आदि नगदी फसलों का महत्व काफी बढ़ गया।

    9.वैश्वीकरण में सहायक( Aid in globalization )-

    उद्योगों के विकास के फलस्वरूप परिवहन व संचार के साधनों का विकास हुआ है। जिससे राष्ट्रों के मध्य की दूरी कम हो गई है। एक देश में उत्पादित वस्तु अति शीघ्र दूसरे देश में पहुँच जाती है।

    10.नवीन तकनीक को प्रोत्साहन( Promotion of new technology )

    औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप बाजार में प्रतिद्धन्द्विता बढ़ गयी है। अतः सभी उत्पादक नवीनतम तकनीक, मशीन का प्रयोग कर अपनी वस्तु की लागत अत्यंत कम रखते हैं। ताकि अपने प्रतिद्वन्द्वियों को बाजार से हटा सकें, यद्यपि इस पूरी प्रक्रिया में उपभोक्ता काफी लाभान्वित रहता है।

    11.औद्योगीकरण में सहायक( Aid in industrialization )-

    उद्योगों की स्थापना से एक तरफ तो शहरीकरण में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी तरफ उद्योग-धंधों की स्थापना के लिए भी अनुकूल परिस्थितयाँ बनती है। भारत में वर्तमान में औद्योगीकरण की दर में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।

    12.प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि( Increase in per capita income )-

    औद्योगिक विकास के कारण पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में देश में प्रति व्यक्ति की आय में भी वृद्धि हुई है। लोगों के रहन-सहन के स्तर में भी वृद्धि हुई है।

    13. उपभोक्ताओं की सुख सुविधा में वृद्धि( Increase in consumer comfort )-

    वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप वर्तमान युग में उपभोक्ता बाजार का नियंत्रक हो गया है, उन्हें दैनिक उपभोग की वस्तुएं उद्योग-धंधों से ही प्राप्त होती है। व्यापारी प्रतिद्वन्द्विता का लाभ उपभोक्ता को ही मिलता हैं और उनके सुख-सुविधा में वृद्धि होती हैं

     14.विदेशी मुद्रा की प्राप्ति :( receipt of foreign exchange ) -

    औद्योगीकरण के कारण भारत में कई प्रकार की वस्तुओं-चीनी, सीमेन्ट, चाय, कागज, इलेक्ट्रोनिक्स, सामान, उर्वरक आदि का निर्यात अन्य देशों में होता है। जिससे देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है और देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।


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