भारत के 7 प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र (MAJOR CENTRES OF IRON-STEEL INDUSTRY) ।

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भारत के 7 प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र (MAJOR CENTRES OF IRON-STEEL INDUSTRY) ।

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MAJOR CENTRES OF IRON-STEEL INDUSTRY)

भारत  के प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र 

प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र (MAJOR CENTRES OF IRON-STEEL INDUSTRY)

1.टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (Tata Iron and Steel Company ) :-

निजी क्षेत्र में लौह-इस्पात उद्योग का आरम्भ सन् 1907 में साँकची (झारखण्ड) नामक स्थान पर हुआ । आज यह स्थान जमशेदपुर के नाम से प्रसिद्ध है। जो सिंहभूमि जिले में खोरकोई व स्वर्णरेखा नदियों के मध्य अवस्थित है। इस कारखाने को सिंहभूमि एवं मयूरभंज की खानों से लौह-अयस्क, रानीगंज झरिया की खानों से कोयला, उड़ीसा की क्योंझर जिले से मैंगनीज एवं सुन्दरगढ़ से डोलोमाइट व चूना पत्थर प्राप्त होता है। 

खोरकोई एवं स्वर्ण रेखा नदी से स्वच्छ जल की पूर्ति हो जाती है। निकट ही कोलकाता बन्दरगाह की सुविधा है। यहाँ टीन की चादरें, रेल के इंजनों के सामान, कृषि यंत्र एवं इस्पात के तार ढाले जाते हैं।

2. इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (Indian Iron and Steel Company) :-

 यह स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL) की सहयोगी शाखा है। इसके अर्न्तगत कुल्टी, हीरापुर एवं बर्नपुर के संयन्त्र आते हैं, जो पश्चिम बंगाल राज्य में हैं। तीनों संयन्त्र आपस में रेल लाइन से जुड़े हैं। कुल्टी में इस्पात तैयार किया जाता है। हीरापुर संयन्त्र ढलवाँ लोहा तैयार करता है जिसे कुल्टी संयन्त्र को इस्पात तैयार करने के लिए भेज दिया जाता है ।

बर्नपुर संयन्त्र में लौह-इस्पात की ढली वस्तुएँ तैयार की जाती हैं। इस प्रकार ये तीनों संयन्त्र संगठित रूप एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करते हैं। इन संयंत्रों की अवस्थिति के निम्नलिखित कारक हैं

v  इन्हें लौह-अयस्क गुना, क्योंझर, मयूरभंज एवं कोल्तान खानों से प्राप्त होता है ।

v  जल विद्युत् शक्ति दामोदर विद्युत् परियोजना से प्राप्त होती है।

v  चूना पत्थर एवं डोलोमाइट उड़ीसा के गंगापुर क्षेत्र से एवं मध्य प्रदेश व बिहार से प्राप्त होता है।

v  दामोदर व बाराकार नदी स्वच्छ जलपूर्ति के स्त्रोत हैं।

v  परिवहन सुविधा के रूप में यह कोलकाता से सड़क व रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है।

v  आयात-निर्यात हेतु कोलकाता बन्दरगाह की सुविधा प्राप्त है।

 

3.भिलाई इस्पात संयन्त्र (Bhilai Steel Plant):-

 यह संयन्त्र कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर छत्तीसगढ़ रायपुर से 30 कि.मी. दूर पश्चिम में दुर्ग जिले में भिलाई नामक स्थान पर सोवियत संघ की सहायता से स्थापित किया गया है ।

इसकी स्थापना के लिए निम्नलिखित कारक सहायक रहे हैं

ü  इस संयंत्र को लौह-अयस्क 83 कि. मी. दूर दुर्ग जिले की दल्ली - राजहरा पहाड़ियों से प्राप्त होता है।

ü  कोयला 225 कि.मी. दूर कोरबा की खानों से प्राप्त होता है।

ü  मैंगनीज बालाघाट (मध्य प्रदेश) एवं भण्डारा (महाराष्ट्र) जिलों से तथा डोलोमाइट हिर्री (बिलासपुर) भाटापारा एवं चूने का पत्थर दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर जिलों से प्राप्त होता है।

ü  तांदुला जलाशय से जल की पूर्ति की जाती है।

ü  विद्युत् शक्ति की पूर्ति कोरबा (बिलासपुर) से होती है। भिलाई इस्पात संयंत्र की क्षमता 50 लाख टन कच्चा इस्पात तथा 31.53 लाख टन विक्रय योग्य इस्पात है ।

4.दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र (Durgapur steel plant):-

 यह संयंत्र पश्चिम बंगाल वर्द्धमान जिले दुर्गापुर नामक स्थान कोलकाता आसनसोल रेलवे लाइन पर कोलकाता 170 कि.मी. की दूरी पर स्थित इसे ब्रिटिश सरकार की सहायता से स्थापित किया गया है। यह कारखाना कच्चे माल की उपलब्धता को देखते हुए स्थापित हुआ

5. राउरकेला  इस्पात संयन्त्र (Rourkela steel plant) :-

 उड़ीसा राज्य के सुन्दरगढ़ जिले में कोलकाता - मुम्बई रेलमार्ग पर पश्चिमी जर्मनी की सहायता से स्थापित किया गया है। इस स्थान पर लोहे के उत्पादन में उपयोग होने वाले लगभग सभी कच्चे माल उपलब्ध हैं, जो निम्नलिखित प्रकार है

       i.          77 कि.मी. दूर सुन्दरगढ़ व क्योंझर से लौह अयस्क की पूर्ति होती है।

      ii.          झरिया, तालचर की खानों से कोयले की पूर्ति होती है जो क्रमशः 225 किमी व 169 किमी दूर है। है

     iii.          चूना पत्थर व मैगनीज की पूर्ति पूर्णपानी तथा बड़ाजामदा से होती है।

     iv.          डोलोमाइट पत्थर बाराद्वार से मिलता है ।

      v.          विद्युत् शक्ति हीराकुण्ड जल-विद्युत परियोजना से प्राप्त होती है।

6. बोकारो स्टील प्लाण्ट (Bokaro steel plant) :-

यह झारखण्ड के हजारीबाग जिले में बोकारो नामक स्थान  पर तृतीय पंचवर्षीय योजनानुसार स्थापित किया गया था। यह स्थान बोकारो तथा झरिया कोयला क्षेत्रों के दक्षिण में दामोदर नदी के दायीं ओर स्थित है। यहाँ इन्जिन, डिब्बे, साइकिलें, गाड़ियाँ आदि के लिए इस्पात तैयार किया जाता है। इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 40 लाख टन कच्चा इस्पात एवं 31.56 लाख टन तैयार इस्पात है।

7. सेलम इस्पात कारखाना (Selam Steel plant) :-

यह संयंत्र तमिलनाडु के सेलम जिले में स्टेनलेस स्टील की चादरें एवं तार उत्पादन के लिए स्थापित किया गया है। यह औद्योगिक क्षेत्र में काम आने वाली आधुनिकतम स्टेनलेस स्टील की चादरें एवं तारों के उत्पादन में भी सक्षम हैं। इसने

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