GOES - SOCIAL SCIENCE  

Mussolini Born Fascist Party and Abhyudaya

मुसोलिनी जन्म 

मुसोलिनी जन्म फासिस्ट पार्टी तथा अभ्युदयः(Mussolini Born Fascist Party and Abhyudaya)

 

मुसोलिनी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। अठारह वर्ष की अवस्था में वह शिक्षक बना। उसे अधिक शिक्षा की जरूरत महसूस हुई। वह स्विजरलैंड चला गया। जेनेवा विश्वविद्यालय में शिक्षा पाई। मजदूर दल का संगत किया और कारखानों में हड़ताल कराई। फलतः सरकार ने उसे स्विजरलैंड से निकाल दिया।

इसके बाद आस्ट्रिया गया वहाँ से भी उसे निकाल दिया गया। 1915 में वह सेना में भरती हो गया। 1917 में युद्धभूमि जख्मी होकर लौटा और अपने को सैनिक सेवा से मुक्त कर लिया। भूतपूर्व सैनिकों के मदद से एक संगठन बनाया जिसे फासिस्ट कहा जाता है। फासिस्ट का सिद्धांत फासीवाद कहलाया। फासिस्ट पार्टी के युवक सदस्य का 'काली कमीज' भी कहा जाता था। फासिस्टो ने प्राचीन रोमन साम्राज्य के प्रतीकों को स्वीकार कर लिया। फासिस्ट पार्टी एक अनुशासित पार्टी थी। धीरे-धीरे लोकप्रिय हो गई और लोग इनके कार्यों से प्रभावित होने लगे। इसका उद्देश्य था- साम्यवादी आन्दोलन को कुचलना । 

इटली की सरकार उस समय बहुत कमजोर थी और देश में चारों ओर अराजकता फैल गई थी। सन 1921 में चुनाव हुए किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। मुसोलिनी के अनुयायियों यने आतंक फैलाएं फिर भी फासिस्टों को मात्र 35 स्थान मिले। कम्युनिष्ट और समाजवादियों को 138 स्थान मिले फिर भी मुसोलिनी हतोत्साहित नहीं हुआ उन्होनें नेपल्स नगर में सभा का आयोजन किया, जिसमें हजारों स्वयं सेवक एवं दल के अन्य सदस्य थे। 28 अक्टूबर सन 1922 रोम घेरने के लिए एक अभियान का आयोजन किया।

इटली का राजा विक्टर इमैन्युएल आतंकित हो उठा। सन 1922 में 29 अक्टूबर को राजा ने मुसोलिनी को सरकार में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया। मुसोलिन ने आमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया और कहा 'कल इटली में मंत्रिमंडल नहीं रहेगा, बल्कि सरकार रहेगी। बिना एक भी गोली चलाए मुसोलिनी के नेतृत्व में फासिस्ट इटली में सतारूढ़ हो गए। 

फासिस्ट पार्टी के विजय के कारण:वहाँ का शासक एवं जनता दोनों लोकतंत्र और समाजवाद को देश के लिए खतरा समझते थे। उन्हें यह विश्वास था कि फासिस्टवादी ही समाजवादी आन्दोलन का दमन कर सकते हैं। इसलिए उन्हें इटली का शासन सौंप दिया गया।

 

मुसोलिनी के कार्य (फासिस्टवाद की विजय के परिणाम) -

(The Works of Mussolini (The Consequences of the Victory of Fascism))

    1.आतंरिक कार्य-( Internal work)
    2. बाह्य कार्य-( External work)


    1.आतंरिक कार्य-( Internal work) -

    अधिनायकवाद की स्थापना -

    मुसोलिनी ने इटली में आतंक का राज्य कायम किया। अपने दल को छोड़कर सभी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने समाजवादी आन्दोलन को कुचल दिया। जलथल और वायु सेनाओं पर भी अपनाअधिकार कर लिया। फासिस्ट अखबारों को छोड़कर अन्य सभी अखबारों को बंद कर दिया।

     शिक्षा संबंधी सुधार:-

    विद्यालयों में फासिस्ट संबंधी शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया। सैनिक प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया। यह मंत्र दिया जाता था कि 'विश्वास करोंआज्ञा मानो और युद्ध करो।

     यहूदियों का विरोध:- 

    इटली में यहूदियों के लिए कोई स्थान नहीं परिणामस्वरूप अनेक यहूदियों ने इटली  छोड़ दिया ।

    (2) बाह्य कार्य-( External work) - 

    (विदेश नीति) प्रथम विश्व युद्ध में पेरिस शांति सम्मेलन में इटली की उपेक्षा की गई। मुसोलिनी इटली को एक महान सबल राष्ट्र बनाना चाहता था। अतः उसने युद्ध और साम्राज्यवादी नीति को अपनाया1

    विजय अभियानः- 

    सन 1924 में मुसोलिनी ने युगोस्लावाकिया के साथ संधि की । अल्बानिया पर अधिकार कर लिया। सन 1935 में इथोपिया और अल्बानिया पर आक्रमण किया एवं उस पर अधिकार कर लिया।

     स्पेन की युद्ध:-

    1936 में स्पेन में गृह युद्ध छिड़ गया। विद्रोहियों का नेता जनरल फ्रैन्को था। जनरल फ्रैन्को मुसोलिनी की मदद से स्पेन की सत्ता हथिया लिया।

    विभिन्न देशों से संधियाँ:-

    इटली और जर्मनी के बीच 1936 में एक संधि हुई। जो "रोम बर्लिन धुरी" के नाम से जाना जाता है। जर्मनी जापान के साथ एंटी-कोमिंटन पेक्ट किया। मुसोलिनी उसमें शामिल हो गया। इस प्रकार 'रोम बर्लिन टोकियोधुरी राष्ट्रों का पैक बन गया। जो द्वितीय विश्व युद्ध में मिल कर लड़े।

    सन 1935 में इटली और रूस के बीच व्यापारिक संधि हुई। सन 1927 में हंगरी के साथ और सन 1930 में आस्ट्रिया के साथ इटली के मैत्री संबंध स्थापित हुए। फासिस्ट नेता के रूप में मुसोलिनी
    मुसोलिनी को राष्ट्रीय नेता मानने के लिए सभी लोगों को बाध्य किया गया। 

    स्कूलों में छात्रों को यह रटाया जाता था कि मुसोलिनी ठीक से काम करता है कानो में यह मंत्र फूका जाता था- विश्वास करोआज्ञा मानो और युद्ध करो। पुरूषों और स्त्रियों को मुसोलिनी के प्रति आज्ञाकारिता की शपथ लेनी पड़ती थी । मुसोलिनी सर्वशक्तिशाली व्यक्ति बन बैठा मुसोलिनी इटली को प्रथम श्रेणी का राष्ट्र बनाने में सफल हो गया।

    इटली में फासिस्टवाद (फाँसीवाद का उदय)

    प्रथम विश्व युद्ध के बाद यूरोप में कई राजनीतिक आन्दोलन हुए उनमें से एक फासिस्ट आन्दोलन है। इस आन्दोलन का एक मात्र लक्ष्य का जनतंत्र को नष्ट कर तानाशाही स्थापित करना। इटली और जर्मनी में फासिस्टवाद के बड़े खतरनाक परिणाम हुए।

    फासिस्टवादं (फासिज्म) का तात्पर्यः-

    'फासिज्म' शब्द इतालवी मूल का है। इसका प्रयोग सर्वप्रथम बेनितो मुसोलिनी के नेतृत्व में चलाए गए आन्दोलन के लिए किया गया था। फासिस्टवाद कट्टर या उग्र राष्ट्रीयता का ही एक रूप एवं तानाशाही का परिचायक है।

    फासीवाद की विशेषताएँ: -

    1. राज्य में व्यक्ति का महत्व नहीं।

    2. जनतंत्र विरोधी ।

    3. समाजवाद विरोधी ।

    4. शांति का विरोधी ।

    5. कमजोर राज्यों के अस्तित्व में विश्वास नहीं।

    6. आतंक का शासन ।

    7. उग्र विदेश नीति का समर्थक ।

    इटली में फासिस्टवाद के उदय के कारण:-

    (1) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद असन्तुष्टि - इटली के युद्ध में सम्मिलित होने का लक्ष्य उपनिवेश प्राप्त करना था । पेरिस के शांति सम्मेलन में अपना लक्ष्य पूर्ण न होते देख इटली वासियों में असन्तुष्टि छा गई थी।

    (2) इटली का आंतरिक स्थिति: प्रथम विश्वयुद्ध का अंत हो जाने के बाद लाखों व्यक्ति बेकार हो गए | 1918 के बाद इटली की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी। फैक्ट्रियों के मजदूर हड़ताल करने लगे थे।

    (3) सरकार की उदासीनता:- सरकार ने इटली के खेतिहर और औद्योगिक मजदूरों की दुर्दशा पर सरकार कोई दिलचस्पी नहीं ली । अतः फासिस्टवाद का उदय हुआ।

    (4) समाजवादियों की गतिविधयाँ: देश किसी भी हालात में साम्यवादियों के जाल में फंसना नहीं चाहते थे। वे देश में एक शक्तिशाली राष्ट्रीय सत्ता की स्थापना चाहते थे। अतः फासिस्टवाद के उदय को प्रोत्साहन मिला।

    (5) मुसोलिनी का व्यक्तित्व मुसोलिनी में राजनीतिक चिन्तन का गुण था। वह एक जोशीला वक्ता तथा कुशल संगठनकर्ता था। वह 1922 में प्रधानमंत्री बन गया।

    GOES