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Hitler's biography

 


हिटलर का जीवन(Hitler's life)

हिटलर का जन्म (Hitler's birth )-

हिटलर का जन्म आस्ट्रिया के एक गाँव में 1889 में हुआ था। गरीबी के कारण वास्तविक शिक्षा ग्रहण कर नहीं पाया। वह म्युनिख चला गया और एक चित्रकार बन गया। उसी समय प्रथम विश्वयुद्ध हुआ । हिटलर सेना में भर्ती हो गया और उसने असाधारण योग्यता दिखाई । उसे 'आयरन क्रास' मिला। 

हिटलर में जर्मन वर्कर्स पार्टी का गठन -

वर्साय की अपमानजनक संधि के बाद जर्मनी का उद्धार करने के लिए हिटलर ने राजनीति में प्रवेश किया। हिटलर में जर्मन वर्कर्स पार्टी का गठन किया। आगे चलकर इस पार्टी का नाम बदलकर 'नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पाटी^ रखा। यह नाजी पार्टी के नाम से प्रसिद्ध हुई ।

सन 1923 में हिटलर ने अपने साथियों के साथ मिलकर जर्मनी की गणतंत्रीय सरकार को पलटने का प्रयास किया। वह पकड़ा गया और उसे पाँच वर्ष के कारावास का दंड मिला। कारावास में ही उसने अपनी आत्मकथा " मेन केम्फ' (मेरा संघर्ष) का प्रथम भाग लिखा। इसमें उसने जनतंत्र की घोर निंदा की।

हिटलरने नाजी पार्टी संगठनमें मुसोलिनी का अनुकरण किया। नाजी पार्टी साम्यवादी व्यवस्था का विरोधी था । जर्मनी के देशभक्त और भूतपूर्व सैनिक अफसर नाजी पार्टी के कहर समर्थक बन गए। हिटलर अपने को देश का फ्यूरर (नेता) कहता था। उसके अनुयायी बाँह पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाते थे। 1932 में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला था, हिटलर भी इस पद के लिए उम्मीदवार बना पर वह हार गया। 1650 सीटों में से उसे 1626 सीट मिल गयी। राष्ट्रपति हिडेनबर्ग ने 30 जनवरी 1933 को उसे चांसलर (प्रधानमंत्री) का पद दिया । प्रधानमंत्री बनते ही हिटलर ने गणतंत्र की कब्र खोदनी शुरू कर दी।

हिटलर का  जर्मनी तानाशाह बनना -

प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद हिटलर ने नए चुनावों के आदेश जारी किए। आतंक का राज्य स्थापित किया। नाजी विरोधी अनेक नेताओं की हत्या की। 27 फरवरी सन 1933 को संसद भवन में आग लगवाया। इसका दोष कम्युनिष्ट पार्टी पर लगाया गया। सन 1934 में हिटलर जर्मनी का तानाशाह बन बैठा ।

1934 में राष्ट्रपति हिडेनवर्ग की मृत्यु गयी। हिटलर ने एक कानून बना दिया। राष्ट्रपति का पद प्रधानमंत्री के पद से मिला दिया जाय। वह सर्वशक्तिमान बन गया । उसने तानाशाही अधिकार ग्रहण कर लिया । 

हिटलर का नारा था -

हिटलर का नारा था-"एक राष्ट्र- एक नेता । उसे 'डैर फ्यूरर' कहा जाता था ।

    नाजीवाद का उदय (Rise of Nazism) -

    नाजीवाद का उदय:- 

    नाजीवाद फासिस्म का जर्मन रूप था । नाजी शब्द हिटलर द्वारा सन 1921 में स्थापित दल 'नेशलन सोशलिस्ट जर्मन वकर्स पार्टी के नाम से निकला है। इसी दल को संक्षेप में नाजी पार्टी कहते हैं।

    नाजीवाद की विशेषताएं ( Features of Nazism )- 

    महान नेता का गुणगानः -

    नजीवाद में महान नेता की महिला का गुणगान एवं उनके आदेशों का पालन करना अनिवार्य था।

    जनतंत्र क विरोधी -

    नाजीवाद अंतराष्ट्रीय शांति और जनतंत्र का विरोधी था। वह संसदीय संस्थाओं का अंतर करने का प्रबल समर्थक था।

    व्यक्ति का स्थान गौण: 

    नाजीवाद में व्यक्ति को गौण समझा जाता था यह कहा जाता था कि लोग राज्य के लिए है न कि राज्य लोगों के लिए।

    उग्र राष्ट्रवाद का समर्थकः

     नाजीवाद के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था । वह राष्ट्रवाद का प्रबल समर्थक था।

    लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल प्रयोग में विश्वास: -

    नाजीवाद लक्ष्य की प्राप्ति के हर विरोध को कुचल देना चाहता था। नाजीवाद लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बलप्रयोग एवं बर्बरता पूर्ण व्यवहार में विश्वास करता था।

    यहुदियों के प्रति घृणाः- 

    हिटलर यहुदियों से घृणा करता था। उन्हें हर प्रकार से पीड़ित और अपमानित करता था। नाजीवाद मेंयहुदियों को जर्मनी की आर्थिक कठिनाइयों के लिए जिम्मेवार ठहराया गया था।

    नाजीवाद के उदय के कारण:(Reasons for the rise of Nazism )-

    a.     वर्साय की अपमान जनता संधि ।

    b.     आर्थिक संकट (1929)

    c.      साम्यवाद का उदय (4) यहुदी विरोधी भावना ।

    d.     सैनिक प्रवृत्ति

    e.     हिटलर का व्यक्तित्व ।

    वस्तुतः नाजीवाद का उदय जर्मन जनता के साथ-साथ संसार के लिए भी विनाशकारी सिद्ध हुआ। अन्ततोगत्वा यह द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बना।

    हिटलर के कार्य:( Hitler's actions)

    1.  अधिनायक तंत्र की स्थापना ।
    2.  गेस्टापों का संगठन (गुप्रचर पुलिस)
    3.  यहुदियों पर आत्याचार ।
    4.  शिक्षा का एकीकरण (जर्मन संसार की सर्वश्रेष्ठ जाति)
    5.  अनुकूल जनमत के लिए प्रयास ।

    विदेश नीतिः(Foreign policy )-

    • वर्साय की संधि को भंग करना ।
    •  जर्मन जातियों को संगठित करना ।
    •  जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना ।

    अन्य कार्य( Other tasks) -

    1. राष्ट्र संघ से अलग होना ।
     2. वर्साय की संधि का अंत
    3. आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार
    4. रोम बर्लिन टोकियो धूरी (1936 में साम्यवाद के विरोध में)
    5. रूस के साथ समझौता (1939 में रूस से संधि)
    6. पोलैण्ड पर आक्रमण (द्वितीय विश्व युद्ध 1939 को प्रारंभ)

    जर्मनी में नाजीवाद का उदय नाजीवाद का तात्पर्य

    नाजीवाद फासिस्म का जर्मन रूप था। नाजी शब्द हिटलर द्वारा सन 1921 में स्थापित दल नेशलन सोशलिस्ट जर्मन वकर्स पार्टी के नाम से निकला है। इसी दल को संक्षेप में नाजी पार्टी कहते हैं।

    नाजीवाद की विशेषताएं:-

    (1) महान नेता का गुणगान:- नाजीवाद में महान नेता की महिला का गुणगान एवं उनके आदेशों का पालन करना अनिवार्य था।

    (2) जनतंत्र का विरोधी:- नाजीवाद अंतराष्ट्रीय शांति और जनतंत्र का विरोधी था। वह संसदीय संस्थाओं का अंतर करने का प्रबल समर्थक था।

     (3) व्यक्ति का स्थान गौण:- नाजीवाद में व्यक्ति को गौण समझा जाता था यह कहा जाता था कि लोग राज्य के लिए है न कि राज्य लोगों के लिए।

    (4) उग्र राष्ट्रवाद का समर्थकः- नाजीवाद के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था। वह राष्ट्रवाद का प्रबल समर्थक था।

    (5) लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल प्रयोग में विश्वास:- नाजीवाद लक्ष्य की प्राप्ति के हर विरोध को कुचल देना चाहता था। नाजीवाद लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बलप्रयोग एवं बर्बरता पूर्ण व्यवहार में विश्वास करता था।

    (6) यहुदियों के प्रति घृणाः- हिटलर यहुदियों से घृणा करता था। उन्हें हर प्रकार से पीड़ित और अपमानित करता था। नाजीवाद में यहुदियों को जर्मनी की आर्थिक कठिनाइयों के लिए जिम्मेवार ठहराया गया था।

    6. पोलैण्ड पर आक्रमण (द्वितीय विश्व युद्ध 1939 को प्रारंभ)

    (1) अधिनायक तंत्र की स्थापनाः- हिटलर ने नाजीवादी को छोड़कर अन्य राष्ट्रवाद का उदय सभी राजनीतिक दलों को भंग कर दिया । एक कानून द्वारा अन्य दलों का संगठन अवैध घोषित किया। वृहद पैमाने पर पुस्तकें। जलाने का काम शुरू किया। दूसरे देशों के श्रेष्ठ लेखकों की कृतियों को चुनचुन कर जला दिया।

    (2) गेस्टापों का संगठन:- गेस्टापो (गुप्तचर पुलिस) के द्वारा साधारण से साध रण घटनाओं का पता हिटलर को ज्ञात हो जाता था।

    (3) आर्थिक स्थिति में सुधार:- नाजियों का नारा था- "हम भूखे रहेंगे, पर निर्यात बढाएंगे।" जिससे निर्यात व्यापार बढ़ गया। जर्मन व्यापारी विदेशी वस्तुएँ नहीं मंगा सकते थे। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से उद्योग धंधों का विकास हुआ।

    (4) यहूदियों पर अत्याचार:- नाजी यहूदियों को अनार्य मान कर उनसे घृणा करते थे। यहुदियों को वोट देने के अधि कार से वंचित कर दिया गया। उन्हें बंदी शिविरों में डाल दिया गया।

    (5) शिक्षा का एकीकरण:- जर्मन युवकों को राजनैतिक सैनिक बनाना ही नाजी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य था । जर्मनी के लिए एकरूप शिक्षण प्रणाली की व्यवस्था की गई विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में यह शिक्षा दी जाने लगी कि जर्मन संसार की सर्वश्रेष्ठ जाति है और वह समस्त संसार में राज्य करने के लिए उत्पन्न हुई है। पाठ्यक्रम में शारीरिक गठन एवं चरित्रबल पर विशेष बल दिया गया।

    (6) अनुकूल जनमत के लिए प्रयास:- हिटलर ने जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त करने के लिए गोबेल्स को प्रचारमंत्री के पद पर नियुक्त किया। सांस्कृतिक जीवन में भी नाजी सिद्धान्तों को महत्व दिया गया।

     विदेश नीति (अन्य कार्य)

    (1) राष्ट्र संघ से अलग होना:- सन 1933 में जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद कर लिया।

    (2) वर्साय की संधि का अंतः- हिटलर ने मित्र राष्ट्रों को क्षतिपूर्ति की रकम देना बंद कर दिया और अनिवार्य सैनिक सेवा प्रारंभ कर संधि का उल्लंघन किया।

    (3) आस्ट्रिया एवं चेकोस्लोवाकिया अधिकारः- आस्ट्रिया और पर चेकोस्लोवाकिया में जर्मन जाति का बाहुल्य था। हिटलर ने आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में ले लिया ।

    (4) रोम बर्लिन टोकियो धुरी:- 1936 साम्यवाद के विरोध में रोमबर्लिन टोकियो में धुरी का गठन किया गया। इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की बर्लिन और जापान की राजधानी टोकियों थी । इसे धुरी राष्ट्र कहा गया।

    (5) रूस के साथ समझौता:- अगस्त सन 1939 में रूस से एक समझौता हुआ जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जर्मनी एवं रूस एक दूसरे पर आक्रमण नहीं करेंगे।

    (6) पोलैंड पर आक्रमण:- हिटलर पोलैण्ड पर अधिकार करना चाहता था । उसने पोलैण्ड से डेजिंग बन्दरगाह तथा बाल्टिक सागर तक पहुँचने के लिए गलियारे की माँग की पोलैंड ने हिटलर की माँग को अस्वीकार कर दिया। फलतः 1 सितंबर 1939 को हिटलर ने पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हो 


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