संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना The Establishment of the United Nations
24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की विधिवत स्थापना (The formal establishment of the United Nations) -
द्वितीय महायुद्ध की
समाप्ति पर विश्व शान्ति हेतु एक संस्था का आयोजन किया वि गया जिसे संयुक्तराष्ट्र संघ कहते हैं। राष्ट्र म संघ के बाद यह दूसरी शांति संस्था थी। द्वितीय
विश्वयुद्ध की विभीषिका ने संसार के देशों को यह सोचने को मजबूर किया कि कोई ऐसी
संस्था हो जो संसार को विनाश से बचा सके।
24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र की विधिवत स्थापना हुई। प्रारम्भ में
केवल 51 राष्ट्र ही इसके
सदस्य थे। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या बढ़कर 193 हो गई हैं। इसका कार्यालय न्यूयार्क में हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विधान को चार्टर कहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य (Objectives of the United Nations) -
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा कायम रखना |
- सभी राष्ट्रों के बीच समान अधिकार और आत्मनिर्णय के सिद्धान्तों के आधार पर मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना ।
- शान्तिपूर्ण उपायों से अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना ।
- विश्व की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदि मानवीय समस्याओं के समाधान हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना।
- जाति भाषा लिंग एवं धर्म का भेद किए बिना सबके लिये मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के सम्मान को बढ़ावा प्रोत्साहन देना
- इन सामान्य उद्देश्यों प्राप्ति के लिए विश्व के राज्यों बीच सहयोग और समानता स्थापित करना
संयुक्त राष्ट्रसंघ के सिद्धान्त (Principles of the United Nations)-
- सभी सदस्य राष्ट्र समान हैं।
- सभी सदस्य राष्ट्र चार्टर के अनुसार अपने कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए वचनबद्ध हैं।
- सभी सदस्य राष्ट्र अपने झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग सुलझायेगे
- प्रत्येक सदस्य राष्ट्र एक दूसरे की स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता को बनाए रखेगा।
- कोई भी सदस्य राष्ट्र चार्टर के प्रतिकूल कार्य करने वाले देश की सहायता नही करेगा।
- संयुक्त राष्ट्र किसी भी सदस्य राष्ट्र के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
- संयुक्त राष्ट्र का यह प्रयास रहेगा। कि सदस्य राष्ट्र इसके सिद्धांतानुसार आचरण करें।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग (Major organs of the United Nations) :-
- महासभा या साधारण सभा
- सुरक्षा परिषद
- आर्थिक व सामाजिक परिषद
- संरक्षण या न्याय परिषद
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
- सचिवालय
संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलताएँ (Successes of the United Nations) -
(1) राजनीतिक विवादों का समाधान -
- 19 जनवरी 1946 में ईरान में प्रवेश की हुई रूसी सेना को हटाया।
- 1947 में इन्डोनेशिया से नीदरलैण्ड की सेना को हटाया।
- 1962 में क्यूबा को लेकर अमेरिका और रूस के बीच संभावित युद्ध को रोकने में सफलता हासिल की।
(2) साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का उन्मूलन -
संयुक्त राष्ट्रसंघ के आव्हान पर इन्डोनेशिया, मोरक्को, ट्यूनीशिया तथा अल्जीरिया स्वतंत्र किये गये।
(3) गैर राजीतिक क्षेत्र की सफलता -
शिक्षा, विज्ञान तथा
साहित्य के विकास में योगदान, निरक्षरता उन्मूलन् डी.टी.पी., पेनीसिलिन का
वितरण, महामारियों पर
नियंत्रण, दुर्भिक्षों तथा
भूखमरी निवारण, श्रमिकों की दशा
में सुधार, बाल-कल्याण, दवाईयाँ, भोजन, प्रसूती गृह का
स्थापना में सहयोग आदि है।
(4) अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण करने का मंच -
संयुक्त राष्ट्र संघ एक ऐसा मंच है, जहाँ महान
राष्ट्र बैठकर अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
(5) अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का आदर एवं पंजीकरण:-
संघ द्वारा देशों के मतभेद दूर करते समय अंतर्राष्ट्रीय विधि का हमेशा पालन किया जाता है। जिससे राष्ट्रों में इन कानूनों के प्रति आदर भाव पैदा हो।
(6) संयुक्त राष्ट्र संघ एक नियंत्रक शक्ति के रूप में:-
इस का दृष्टिकोण सदैव
शांति का रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मामलों. में इसने एक संतुलन शक्ति का काम किया है
।
(7) नैतिक दबाव का साधनः-
संयुक्त राष्ट्र संघ आक्रमणकारी राष्ट्रों पर अपना नैतिक
दबाव डालकर उन्हें सही रास्ते में आने के लिए बाध्य करता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के बारे मे और जाने Learn more about the United Nations-
1-संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्यालय कहा है?(Where is the headquarters of the United Nations?)-
- संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका के नुयार्क शहर मे स्थित है ।
2 -संयुक्त राष्ट्रसंघ में कितने देश है ? (How m any countries are there in the United Nations) -
- संयुक्त राष्ट्र संघ मे वर्तमान मे 193 देश शामिल है ।
3 - संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई ? (When was the United Nations Organization established?)
4- संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थायी सदस्य देश कौन - कौन से है ? (Which are the permanent member countries of the United Nations?)
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थायी स्थायी सदस्य देश - संयुक्त राज्य अमेरिका ,रूसी संघ , फ़्रांस , चीन, व यूनाइटेड किंगडम हैं ।
असफलताएँ:-
1. हथियारों की होड़ को रोकने में असफलता ।
2. सशस्त्र आक्रमण को रोकने में अफसलता कश्मीर अरब, इजराइल, कोरिया को आक्रमणों में प्रभावकारी कार्यवाही नहीं कर सका।
युद्ध के बाद युद्ध विराम करने की भूमिका रही है।
3. दक्षिण अफ्रीका की श्वेत सरकार ने संघ के उद्देश्यों का
अतिक्रमण किया । बुलगारिया, हंगरी, रोमानिया में मूल अधि कारों के हनन को रोक पाने
में संयुक्त राष्ट्र संघ असफल रहा है।
4. कई राष्ट्र अभी भी इसके सदस्य नहीं हैं। सदस्यों में आपसी
मतभेद भी बहुत हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में
भारत की भूमिका:-
1. संघ की स्थापना और चार्टर निर्माण में:- सेनफ्रान्सिसकों
सम्मेलन में भारत भाग लेकर 51 संस्थापक देशों
में से एक सदस्य बना। मानव अधिकार और मौलिक स्वतंत्रताओं को भारतीय प्रतिनिधि की
सिफारिश पर चार्टर में जोड़ा गया।
(2) संघ की सदस्य
संख्या बढाने में:- संघ में अपने विरोधी गुट को प्रवेश देने में कई देश रूकावट
डालते थे परन्तु भारत ने आक्रमणकारी चीन के प्रवेश का समर्थन कर सदस्य संख्या
बढ़ाने में प्रेरक कार्य किया।
(3) संघ के विभिन्न अंगों के संचालन में:- सन 1954 में भारत की श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित
सयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवे अधिवेशन में अध्यक्षा निर्वाचित हुई।
डॉ. राधाकृष्णन और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद यूनेस्को के प्रधान निर्वाचित हुए
। श्रीमती
राजकुमारी अमृत कौर विश्व स्वास्थ्य संगठन, डॉ. बी. आर. सेन विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन, बाबू जगजीवन राम, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, डॉ. एच.जे. भामा अणुशक्ति आयोग के अध्यक्ष, डॉ. चिन्तामणी देशमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा
कोष के अध्यक्ष, डॉ. नगेन्द्र
सिंह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रहकर संघ के संचालन में सहयोग
करते रहे।
(4) संघ के शांति व सुरक्षा संबंधी कार्यों में:
1. कोरिया समस्या:- उत्तर और दक्षिण कोरिया के युद्ध में विश्वयुद्ध की संभावनाएँ बढ रही थी।
संयुक्त राष्ट्र ने वहाँ शांति स्थापित करने 16 राष्ट्रों की सेनाएँ भेजी। उसमें भारतीय सैनिक भी थे
जिन्होंने युद्ध बंदियों की अदला बदली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. हगरी समस्या:- 1956 में प्रतिक्रियावादी तत्वों ने हंगरी में विद्रोह कर दिया । हंगरी के सरकार
के अनुरोध पर रूस ने सेना भेज विद्रोह को दबा दिया । सयुक्त राष्ट्र संघ में भारत
ने हंगरी में शांति स्थापना के प्रयासों का समर्थन किया।
3. स्वेजनहर समस्या:- 26 जुलाई 1956 को मिश्र ने
स्वेजनहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया। स्वेजनहर पर अपना अधिकार स्थापित करने
इंग्लैण्ड, फ्रांस और इजराइल ने
मिश्र पर आक्रमण कर दिया। भारत ने इन आक्रमणकारी देशों की निंदा कर युद्ध बंद
कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
4. कांगो समस्या:- कांगों के स्वतंत्र होने पर बेल्जियम ने उस पर हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश से भारत ने अपनी सेना की बड़ी टुकड़ी भेजकर कांगों
में युद्ध के खतरे को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. निःशस्त्रीकरण हेतु किये गये प्रयास:- भारत ने सहयोगी देशों की मदद से सन 1961 में महासभा आणविक परीक्षणों को बन्द करने का
प्रस्ताव रखा। 1963 में ब्रिटेन,
अमेरिका और रूस के आणविक परीक्षण प्रतिबंध संधि
का भारत ने स्वागत किया। सन 1987 में राजीव गाँधी
ने महासभा में निःशस्त्रीकरण की पुनः अपील की ओर 1988 में 22 वर्षों में
चरणबद्ध कार्यक्रम के तहत पूर्ण निःशस्त्रीकरण का सुझाव दिया।
6. रंगभेद के विरूद्ध संघर्ष:- दक्षिण अफ्रीका और रोडेशिया की गोरी सरकारों द्वारा
अश्वेतों पर किये जाने वाले अत्याचारों का भारत ने प्रबल विरोध किया। संयुक्त
राष्ट्र संघ में भारत के लगातार दबाव बनाये रखने से 22 दिसंबर में
अफ्रीका में को का अधिकार मिल गया ।
7. उपनिवेशवाद समाप्ति हेतु किये गये प्रयास:- भारत ने
उपनिवेशवाद की समाप्ति ओर यहाँ की जनता की स्वतंत्रता के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ
में जो प्रस्ताव रखा उसे स्वीकार कर लिया गया। बंगलादेश और नामीबिया को मुक्त
कराने में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
8. मानव अधिकारों की रक्षा में: भारत मानव अधिकारों का सदैव
समर्थक रहा। 21 दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने
"मानवधिकार उच्चायुक्त का गठन किया उच्चायुक्त के सुझाव को मान्यता दी। उच्चायुकत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव और महासभा के अधीन काम करते हुए नागरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य सभी प्रकार के मानवअधिकारों की रक्षा और
उन्हें बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी है।
9. आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में:- भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों पर विशेष बल दिया। विकसित देशों से अविकसित देशों के अधिकाधिक आर्थिक सहायता देने की अपील की। 24 अक्टूबर 1985 महासभा के सदस्य देशों से अपील की कि राजीव गांधी ने विश्व शांति के प्रति स्वयं को समर्पित करते हुए विश्व से भुखमरी को दूर करने के लिए संघर्ष करें।
राष्ट्र संघ का उद्देश्य :-
राष्ट्र संघ का उद्देश्य संसार में शांति स्थापित करना था । राष्ट्र संघ के प्रमुख उददेश्य निम्नलिखित थे:
1. अंतराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देना।
2. अंतर्राष्ट्रीय शांति सुरक्षा कायम करना ।
3. संसार के विभिन्न देशों के पारस्परिक झगड़ों का शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाने का प्रयास करना ।
4. शस्त्रीकरण की प्रतियोगिता का अंत करना तथा युद्धोन्माद को
दूर करना ।
5. पेरिस की शांति संधियों द्वारा निर्धारित कर्त्तव्यों का पालन ।
राष्ट्र संघ की स्थापना
शान्ति सन्धियाँ का एक मूर्त प्रयास था जिसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे:
1) शान्ति सम्मेलन द्वारा स्थापित व्यवस्था को कायम रखना ।
(2) मनुष्य मात्र के कल्याण के उपाय करना ।
(3) युद्ध रोकना तथा शान्ति को बनाये रखना ।
(4) निशस्त्रीकरण के लिए प्रयत्न करना
(5) राष्ट्रों के पारस्परिक झगडों तथा विवादों को शान्ति मय
उपायों से हल करना ।
राष्ट्र संघ का संगठन
राष्ट्र संघ के प्रमुख पाँच अंग थे, जिनके आधार पर कार्य सम्पादन होता था
1. महासभा
2. परिषद
3. सचिवालय
4. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
5. अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ
राष्ट्र संघ के कार्य
राष्ट्र संघ को अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति की स्थापना के अतिरिक्त अन्य कार्य सौंपे गये थे वे इस प्रकार थे:
1. प्रशासन संबंधी कार्य ।
2. अधिवेशन कार्य
3. अल्पसंख्यकों का संरक्षण।
4. गैर राजनीतिक कार्य
राष्ट्र संघ की असफलता के
कारण:-
राष्ट्र संघ की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय विवादों। को शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाने और भविष्य में युद्धों को रोकने के लिए की गई थी। इसमें राष्ट्र संघ सफल नहीं हुआ। इसकी असफलता के मुख्य कारण निम्नानुसार थे:
(1) राष्ट्र संघ की वैधानिक दुर्बलता ।
(2) संयुक्त राज्य अमेरिका का असहयोग ।
(3) वर्साय की संधि से जुड़ा होना।
(4) अधिनायकों का उदय ।
(5) राष्ट्र संघ का सार्वभौम न होना।
(6) निःशस्त्रीकरण के प्रयासों की असफलता ।
(7) आर्थिक मन्दी।
(8) उग्र राष्ट्रीयता की भावना ।
(9) राष्ट्र संघ के सदस्यों के परस्पर विरोधी हित ।
(10) राष्ट्र संघ के सदस्यों का जनता का प्रतिनिधि न होना ।
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