प्रथम विश्व युद्ध ( First world war /1914-1918) | युद्ध के कारण । प्रमुख घटनाएँ । युद्ध के परिणाम | युद्ध की समाप्ति

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

प्रथम विश्व युद्ध ( First world war /1914-1918) | युद्ध के कारण । प्रमुख घटनाएँ । युद्ध के परिणाम | युद्ध की समाप्ति

GOES ( History ) 

प्रथम विश्व युद्ध ( First world war /1914-1918)

प्रथम विश्व युद्ध ( First world war) -

प्रथम विश्व युद्ध First World War (1914 - 1918) - 

प्रथम विश्व युद्ध सन 1914 में यूरोप में एक ऐसा युद्ध आरंभ हुआ जिसने पूरे विश्व को अपने प्रभाव क्षेत्र में समेट लिया। इस युद्ध से जितना विनाश हुआ उतना मानव इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था ।

प्रथम विश्व युद्ध 1914 में आरंभ होने वाला युद्ध एक सर्व व्यापी युद्ध था जिसमें युद्धरत् देशों ने अपने सारे संसाधन झोंक दिए। इसका पूरी दुनियाँ की अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव पड़ा इस युद्ध में असैनिक क्षेत्रों पर हुई बमबारियों से तथा युद्ध के कारण फैले अकाल और महामारियों से जितनी आम लोगों की जाने गई उनकी संख्या मारे गये सैनिकों से कहीं अधिक थी। इस युद्ध का प्रभाव भी अभुतपूर्व था।

इसने दुनिया के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। प्रकृति के कारण इसे प्रथम विश्व युद्ध कहा जाता है।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण-( Due to the first world war) -

1.साम्राज्यवादी शक्तियों में आपसी कलह:(Discord among the imperialist powers) -

युद्ध के मूल कारण थे साम्राज्यवादी देशों की आपसी प्रतिस्पर्धाएं और टकराव । एशिया और अफ्रीका की साम्राज्यवादी विजय के दौरान साम्राज्यवादी देशों में टकराव होते रहते थे। कभी-कभी साम्राज्यवादी आपस में "शान्तिपूर्ण निपटारा" कर लेते थे। वे एक-दूसरे के खिलाफ बल-प्रयोग किये बिना एशिया या अफ्रीका जाती थी।

2.उपनिवेश के लिए संघर्ष:( Struggle for colonization )-

जर्मनी के एकीकरण के बाद उसका बहुत अधिक आर्थिक विकास हुआ था। 1914 के आते आते तक वह लोहे और इस्पात तथा बहुत सी औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में ब्रिटेन और फ्रांस को बहुत पीछे छोड़ चुका था। (तुर्की) साम्राज्य की अर्थ व्यवस्था पर अपना नियंत्रण स्थापित करना। इसके लिए उन्होंने बर्लिन से बगदाद तक एक रेल लाईन बिछाने की योजना बनाई। 

इस योजना से ब्रिटेन, फ्रांस और रूस डर गए. क्योंकि इस रेल लाईन के तैयार होने पर उस्मानिया साम्राज्य सें संबंधित उनकी साम्राज्यवादी  को बहुत बड धका लगता  इन्हें पूरा करने के लिए कदम भी उठा चुका था। ब्रिटेन के साथ एक समझौता करने के बाद उसने 1904-1905 में रूस को हराया और सुदूर पूर्व में उसका प्रभाव बढ़ गया। 

ब्रिटेन का दूसरे सभी साम्राज्यवादी देशों से टकराव हो गया था, क्योंकि उसके पास पहले से एक बहुत बड़ा साम्राज्य था और उसकी रक्षा करना आवश्यक था। जब कभी किसी देश की शक्ति बढ़ती थी उसे ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खतरा समझा जाता था ।

3.यूरोप में संघर्ष ( Conflict in Europe) -

यूरोप की प्रमुख शक्तियों के बीच उपनिवेशों और व्यापार को लेकर टकराव तो थे ही, साथ ही यूरोप के अंदर होने वाली कुछेक घटनाओं को लेकर भी टकराव थे। उस समय यूरोप में छह प्रमुख शक्तियाँ थी- ब्रिटेन, जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, रूस, फ्रांस और इटली ।

एक प्रश्न जिसमें ये सभी देश उलझ गए, वह था - यूरोप के बाल्कन प्रायद्वीप के देशों का प्रश्न बाल्कन प्रायद्वीप के देश उस्मानिया साम्राज्य के अधीन थे। मगर 19वी सदी में उस्मानिया साम्राज्य का पतन आरम्भ हो चुका था। स्वाधीनता के लिए अनेक जातियाँ इस साम्राज्य के विरूद्ध विद्रोह कर रही थी। रूस के जारों को आशा थी कि इन क्षेत्रों से उस्मानी तुर्की का शासन समाप्त होने के बाद ये रूस नियंत्रण में आ जाएँगे । 

उन्होंने सर्व स्लाव नामक एक आंदोलन को बढ़ावा दिया जो इस सिद्धान्त पर आधारित था कि पूर्वी यूरोप के सभी स्लाव एक जनगण के लोग हैं। स्लाव आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्रों में भी रहते थे। इसलिए रूस ने  उस्मानिया साम्राज्य और आस्ट्रिया-हंगरी दिया  दोनों के खिलाफ आन्दोलन को बढ़ावा दिया। उस्मानिया साम्राज्य और आस्ट्रियास्लाव बहुत क्षेत्रों हंगरी को एक करने के आन्दोलन का नेतृत्व बल्कान प्रायद्वीप का एक प्रमुख देश सर्बिया कर रहा था। रूस के बढ़ते प्रभाव को देखकर यूरोप की दूसरी प्रमुख शक्तियाँ चौकन्नी हो गई। वे रूस के प्रभाव को बढ़ने से रोकना चाहती थी। जबकि आस्ट्रिया-हंगरी इस क्षेत्र में अपना पाँव फैलाना चाहता था।  । 

इटली ने कुछ ऐसे क्षेत्रों पर दावा किया जो उस समय आस्ट्रिया के अधीन थे। फ्रांस ने केवल अल्सास लारेन को वापस पाना चाहता था जो उसे 1871 में जर्मनी को देना पड़ा था, इसके अलावा जर्मनी के साथ 1870-71 के युद्ध में उसकी जो शर्मनाक हार हुई थी वह जर्मनी से उसका बदला भी लेना चाहता था ।

4.गुटों का निर्माण (Formation of groups ) -

यूरोप में उपनिवेशों को लेकर होने वाले जिन टकरावों का वर्णन किया जा चुका है, उनके कारण 19वी सदी के अंतिम दशक और उसके बाद के काल में यूरोप में तनाव की स्थिति पैदा हो गई। यूरोप के देश अब परस्पर विरोधी गुटों में शामिल होने लगे। अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने, अपनी सेनाओं और नौ सेनाओं की संख्या बढ़ाने, नए और पहले से अधिक धातक हथियार विकसित करने तथा आमतौर पर युद्ध की तैयारियाँ करने पर वे अपार धन खर्च करने लगे। यूरोप अब धीरे-धीरे  विशाल सैनिक शिविर बनता जा रहा था। 20वीं सदी के पहले दशक में इन देशों के दो परस्पर विरोधी गुट बन गए और वे अपनी-अपनी सैनिक शक्ति के साथ एक दूसरे के मुकाबले के लिए तैयार हो गए। 

1882 में एक त्रिगुट (ट्रिपल एलायंस) बना था जिसमें जर्मनी, आस्ट्रिया हंगरी और इटली शामिल थे

 मगर इस गुट के प्रति इटली की वफादारी संदिग्ध थी क्योंकि उसका मुख्य उद्देश्य यूरोप में आस्ट्रिया हंगरी से कुछ इलाके छीनना और फ्रांस की सहायता से त्रिपोली को जीतना था । इस त्रिगुट के विरोध में फ्रांस, रूस और ब्रिटेन ने 1907 में एक त्रिदेशीय संधि (ट्रिपल एन्ता) बनाई। जैसा कि शब्द "एन्ता" ( इसका शाब्दिक अर्थ है- आपसी समझदारी) से स्पष्ट है, यह सन्धि सिद्धान्त रूप से आपसी समझ पर आधारित एक ढीला ढाला गठजोड़ थी। इन दो परस्पर विरोधी गुटों के उदय से यह निश्चित हो गया था कि अगर इनमें से कोई भी देश किसी टकराव में उलझता है तो वह टकराव एक अखिल यूरोपीय युद्ध में बदल जायेगा। 

युद्ध की घड़ी और भी पास आ गई। इंकार कर दिया क्योंकि वह उसकी पूर्ण स्वतंत्रता के विरुद्ध थी। 28 जुलाई 1914 को आस्ट्रीया ने सर्बिया के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। रूस ने सर्विया की पूर्ण सहायता का वादा किया था और इस लिए यह युद्ध की तैयारी करने लगा । जर्मनी ने 01 अगस्त को रूस और 3 अगस्त को फ्रांस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की। फ्रांस पर दबाव डालने के लिए जर्मन सेनाएं 4 अगस्त को बेल्जियम में घुस गई। उसी दिन ब्रिटेन ने जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

 

प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाएँ (Major Events of World War I) -

1.   1..युद्ध का आरंभ(Start of war) –

प्रथम विश्व युद्ध मे जर्मनी को आशा थी कि वह बेल्जियम पर बिजली की तरह मार करके फ्रांस पर हमला कर देगा और उसे कुछ ही हफ्तों में हरा देगा और तब वह रूस से उलझेगा। कुछ समय तक ऐसा लगा कि यह योजना सफल हो रही है। जर्मनी सेना पेरिस से मात्र 20 किलो मीटर की दूरी तक आ पहुंची। रूस ने जर्मनी और आस्ट्रिया पर हमले आरंभ कर दिये थे और इस लिए कुछ जर्मन सेना पूर्वी मोर्च पर भी भेजनी पड़ी जल्द ही फ्रांस की तरफ सेनाओं का बढ़ना रूक गया और यूरोप में युद्ध में लम्बे समय के लिए गतिरोध पैदा हो गया। इस बीच युद्ध दुनिया के कई दूसरे भागों तक फैल गया और पश्चिमी एशिया अफ्रीका और सुदूर पूर्व में लड़ाइयाँ होने लगी। 

पूर्वी मोर्चे पर आस्ट्रिया को रूस के हमले असफल बनाने और रूसी साम्राज्य के कुछ भागों पर कब्जा करने में सफलता मिली यूरोप से बाहर फिलिस्तीनमोसोपोटामिया और अरब में उस्मानिया साम्राज्य और जर्मनी तथा तुर्की के विरूद्ध अभियान संगठित किए गए। जर्मनी तथा तुर्की के विरूद्ध भी अभियान संगठित किये गये। जो ईरान में अपना प्रभाव स्थापित करना चाहते थे।

पूर्वी एशिया जापान ने जर्मनी के अधिकार क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया और अफ्रीका में ब्रिटेन तथा फ्रांस ने अधिश जर्मन उपनिवेश हथिया लिए ।

2. युद्ध में नए एवं भयंकर हथियारों का प्रयोग:( Use of new and fierce weapons in war )-

इस युद्ध में अनेक नए हथियारों का उपयोग किया गया। इस तरह के दो हथियार थे मशीनगन और तरल अग्नि (लिक्विड फायर) । युद्ध में पहली बार आम जनता को मारने के लिए हवाई जहाजों का उपयोग किया गया। अंग्रेजों ने टैंकों का प्रयोग किया जो आगे चलकर युद्ध के प्रमुख हथियार बन गए। दोनों युद्धरत गुटों ने एक-दूसरे तक खाद्यानकारखानों के माल तथा हथियारों के पहुंचने को रोकने की कोशिश की और इस काम में समुद्री युद्ध की प्रमुख भूमिका रही।

जर्मनी ने बड़े पैमाने पर यू बोट नामक पनडुबियों का उपयोग किया। इसका उद्देश्य दुश्मन के जहाजों को ही नहींबल्कि ब्रिटिश बंदरगाहों की ओर बढ़ रही तटस्थ नौकाओं को भी नष्ट करना   था। इस युद्ध में जहरीली गैसों का भी उपयोग किया गया। जो एक और भयानक हथियार था। युद्ध लम्बा खिंच गया और इससे लाखों की जान गयी और अरबों की धन व सम्पत्ति नष्ट हुई।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध में शामिल:(United States involved in the war )-

6 अप्रैल 1917 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की। अमेरिका एन्ता देशों के लिए हथियारों और दूसरी आवश्यक वस्तुओं का प्रमुख स्त्रोत बन चुका था। 1915 ई. जर्मनी की यू-बोट ने 'लुसितानियानामक एक ब्रिटिश जहाज को डुबो दिया था। मरने वाले यात्रियों में 128 अमेरिका भी थे इस घटना के बाद अमेरिका में जर्मन विरोधी भावनाए भड़क उठी और अमेरिका भी हो गया। युद्ध में शामिल हो गया

4-रूस का युद्ध से अलग होना(Russia's withdrawal from the war) -

1917 की एक और प्रमुख घटना थी अक्टूबर क्रान्ति और उसके बाद रूस का युद्ध से हट जाना। रूसी क्रान्तिकारी आरंभ से ही युद्ध का विरोध करते आए थे। लेनिन के नेतृत्व में उन्होंने फैसला किया था कि वे रूसी निरंकुश शासन को उखाड़ फेककर सत्ता पर कब्जा करने के लिए इस युद्ध को एक क्रान्तिकारी युद्ध में बदल देंगे। युद्ध में रूसी साम्राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। रूस के छह लाख से अधिक सैनिक मारे जा चुके थे। 

जिस दिन बोलशेविक सरकार सत्ता में आयी उसके दूसरे दिन उसने शान्ति जारी कि जिसमें दूसरे के क्षेत्रों को लिए बिना और युद्ध के हरजाने के लिए शान्ति स्थापित करने के प्रस्ताव रखे थे। रूस ने युद्ध का फैसला किया और मार्च 1918 में जर्मनी के साथ एक शान्ति संधि की । युद्ध की समाप्ति से हट जाने

 

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम (Results of the First World War)- 

प्रथम विश्व युद्ध उस समय तक विश्व में हुए सभी युद्ध से अधिक भयावह था इसके परिणाम केवल यूरोप को ही प्रभावित करने वाले नहीं थे वरन सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करने वाले थे। इस युद्ध के परिणाम निम्नलिखित है।

(1) अपार धनजन की हानि :(Huge loss of money) -

इस युद्ध में लड़ने वालों की संख्या विस्मयकारी थी। विभिन्न अनुमानों के अनुसार 45 करोड़ 30 लाख से लेकर 7 करोड़ तक लोग इस युद्ध में लड़े। लड़ाई में मारे गए एवं घायलों की संख्या 90 लाख थी इसमें लगभग 69 लाख भारतीय सैनिकों ने भाग लिया। लाखों लोग अपंग हो गए। हवाई हमलोंअकालों और महामारियों से भारी संख्या में असैनिक लोग मारे गए। इसमें दोनों पक्षों का भारी धन सम्पत्ति का विनाश हुआ ।

(2) राजनीतिक परिणाम:(political consequences)- 

इस युद्ध तथा इसके बाद की शान्ति सन्धियों ने दुनिया का और मुख्यतः यूरोप का नक्शा ही बदल कर रख दिया। इस युद्ध के पश्चात् यूरोप में निम्नलिखित राजनीतिक परिवर्तन हुए -

  •  यूरोप के निरंकुश राजतंत्रों का अन्त हो गया।
  •  गणतंत्रों का उदय ।
  •  राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीयता की भावना का तेजी से प्रसार हुआ।
  • नवीन गणतन्त्रों की प्रवृत्ति अधिनायक वादी हो गई।
  • राष्ट्र संघ की स्थापना ।
  •  रूस में साम्यवादी सिद्धान्तों के आधार पर नयी शासन व्यवस्था की स्थापना। 

(3) सामाजिक परिणाम:(social consequences)-

  •  स्त्रियों की स्थिति में सुधार हुआ।
  •  सामाजिक असमानता का अन्त हो गया और विश्व में मातृत्व की भावना का विकास हुआ।

(4) धर्म के प्रति आस्था का कम होना:(lack of faith in religion)-

जनता धर्म को राजनीति से पृथक समझने लगी इससे ईश्वरीय सत्ता की उपेक्षा की जाने लगी।

(5) विज्ञान की प्रगतिः(progress of science)-

वैज्ञानिकों ने अनेक उपयोगी आविष्कार किए लेकिन उग्र राष्ट्रवाद के कारण विनाशकारी एवं विध्वंसकारी अस्त्र शस्त्रों का निर्माण किया गया।

(6) सांस्कृतिक परिणामः(cultural consequences)- 

राष्ट्रों की ऐतिहासिक कला कृतियोंस्मारकोंभवनोंनगरों का विनाश हो गया। युद्ध के पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृति को प्रोत्साहन मिला।

(7) भावी युद्ध के बीज:(seeds of future war)-

ऐसी धारणा थी कि प्रथम विश्वयुद्ध सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध हैपरन्तु शान्ति सन्धियाँ युद्ध को सदा के लिए समाप्त करने में असमर्थ रही। संधियों की कुछ व्यवस्थाए पराजित देशों की दृष्टि से अत्यंत कठोर थी। उन्होंने भावी संघर्षों के बीज बोये ।

 

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति (end of the first world war) -

प्रथम विश्व युद्ध को समाप्त कराने के लिए अनेक प्रयास किए गए। अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने जनवरी 1918 में शान्ति का एक कार्यक्रम सामने रखा। यह राष्ट्रपति विल्सन के "चौदह सूत्रों" के नाम से विख्यात हुआ। जिसका विवरण निम्नलिखित है:-

1. गुप्त संधियों का परित्याग ।

2. सभी देशों का सभी समुद्री मार्गों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करना ।

3. राष्ट्रो के मध्य खुलेतौर पर बातचीत हो और संधि`यों की जाए।

4. हथियारों के निर्माण में कटौती हो।

5. जर्मनी बेल्जियम से हट जाए।

6.फ्रांस को आल्सेस और लारेन के प्रदेश लौटा दिए जाए।

7. यूरोप में राष्ट्रीयता के आधार पर कुछ नये देशों का निर्माण किया जाए।

8. अंतर्राष्ट्रीय शान्ति के लिए राष्ट्र संघकी स्थापना की जाए।

9. उपनिवेशों के दावों को रूप से तय किया जाए।

10. हारे हुए राष्ट्रों से हरजाने के रूप में धनराशि ली जाए।

11. जर्मनी और फ्रांस के बीच लगने वाले राइन नदी के क्षेत्र को पूरी तरह सेना रहित कर दिया जाए।

12. दोषी राष्ट्रों की सैनिक संख्या तय कर दी जाए।

13. सार नामक कोयले का क्षेत्र फ्रांस को दे दिया जाए।

14. बेल्जियम को स्वतंत्र कर दिया जाए।

GOES

Post a Comment

0 Comments

Popular Post