लोकोक्तियाँ

अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग = (सबकी अलग-अलग राय होना)

अनेक विरोधी दलों के होने से कोई किसी की नहीं सुनताआखिर अपनी-अपनी ढपलीअपना अपना राग जो ठहरा।

अन्या क्या जाने वसंत की बहार = (अनभिज्ञ आदमी को आनन्द नहीं मिल सकता)

ललित तो पाँचवी पास हैउसे कामायनी में क्या दिलचस्पी है अन्धा क्या जाने वसंतकी बहार ।

अन्धा क्या चाहे दो आँखें =(मुँह माँगी वस्तु मिलना)

दीपू को गणित के अध्यापकः की आवश्यकता थी कि एक दिन अचानक वह उसका किरायेदार बनकर आ गया। अन्धा क्या चाहे दो आँखें।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत =(नुकसान होने के पश्चात् पछतानेसे क्या लाभ )

 पूरे साल तो आवारागर्दी की अब फेल होने पर क्यों रोते होअब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत ।

अन्त भला तो सब भला =(अच्छे काम का अन्त अच्छा ही होता है)

सूरज बाबू तुम्हें कितना भी परेशान करेंपर अंत में तुम्हारा काम तो उन्होंने ही किया अन्त भला तो सब भला।

आधा तीतरआधा बटेर = (बेमेल वस्तुओं का एक साथ होना)

 अरे! ये क्या फैशन हैधोती-कुर्ते के साथ हैट-बूट लगता है आधा तीतरआधा बटेर

आ बैल मुझे मार= (जान बूझकर विपत्ति मोल लेना)

 पहले जब इतने सारे रिश्तेदारों को बुला लियातो अब खर्चे का रोना क्यों रोते हो। सचमुच तुमने तो आ बैल मुझे मार वाला ही काम किया।

आग लगने पर कुआँ खोदना = (विपत्ति पूरी तरह आ जाने पर बचाव के उपायकरना)

 पूरे साल तो बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और जब परीक्षा सिर पर है तो अध्यापक से ट्यूशन के लिए कहते हो। आग लगने पर कुआँ खोदते हो।

आम का आम गुठलियों का दाम =  (दुगुना लाभ)

जितने में नई कार खरीदी थीउतने की ही दो साल बाद बिक गईदो साल उपयोग भी खूब किया। इसी को तो कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम ।

आगे कुआँ पीछे खाई = (दोनों ओर मुसीबत)

 अगर दोस्त की मदद करता हूँ तो पत्नी नाराज होती है और अगर नहीं करता हूँतो दोस्त नाराज होता है। मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई है।

ओस चाटे प्यास नहीं बुझती=  (बड़े काम के लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता होती है)

कारखाना लगाने के लिए कुल चार-पाँच हजार की बात मत करोओस चाटे प्यास नहीं बुझती ।

ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर =(किसी कठिन काम में कष्टों को सहनामही पड़ता है)

जब समाज सेवा करने की ठान ली है तो छोटे-मोटे कष्टों से क्यों घबराते होजब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर।

ईश्वर की मायाकहीं धूप कहीं छाया = (भाग्य की विचित्रता)

 भूषण बाबू का एक बेटा पुलिस अफसर है तो दूसरा साधारण सा जेबकतरा। इसी को कहते हैं- ईश्वर की मायाकहीं धूप कही छाया ।

एक पन्थ दो काज =(एक ही उपाय से दो लाभ)

मैं एक समारोह के सिलसिले में दिल्ली जा रहा हूँ तो वहाँ कुतुब मीनार और लालकिला भी देखने जाऊँगाएक पन्थ दोकाज हो जाएगा।

 एक अनार सौ बीमार = (चीज कम पर चाहने वाले अधिक)

 गाँव भर में एक डॉक्टर है पर मरीज हर घर में पड़े हैं। यहाँ तो एक अनार सौ बीमार वाली बात है।

एक हाथ से ताली नहीं बजती =(बात दोनों ओर से होती है)

सारा दोष बहू का नहीं हो सकतातुम्हारी माँ ने भी कुछ कहा होगाक्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती।

एक तो करेलादूसरा नीम चढ़ा =(एक दोष के होते दूसरा लग जाना)

तुम पहले ही नहीं पढ़ते थे अब तुमने विद्यालय जाना भी बंद कर दियायानि एक तो करेलादूसरा नीम चढ़ा।

 कहाँ राजा भोजकहाँ गंगू तेली = (दो व्यक्तियों की प्रतिष्ठा में जमीन-आसमान का अन्तर)

दो कविताएँ लिखकर अपनी तुलना सुमित्रानन्दन पन्त से करना चाहते हो कहाँ राजा भोजकहाँ गंगू तेली।

कंगाली में आटा गीला = (एक कष्ट पर दूसरा कष्ट)

एक तो वैसे ही बेरोजगारी ने उसका जीना हराम कर रखा थाउस पर चोरी ने कंगाली में आटा गीला वाली कहावत सिद्ध कर दी।

काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती = (बेईमानी बार-बार नहीं फलती)

 मसालों में मिलावट करके सेठ मगनलाल कई बार जनता को ठग चुका थामगर अब की बार पकड़ा गया। आखिर काठ की होंडी बार-बार नहीं चढ़ती।

काला अक्षर भैंस बराबर = (अनपढ़ आदमी)

 मैं अपनी निरक्षर पत्नी को क्या पत्र लिखेंउसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

 का वर्षा जब कृषि सुखाने = (अवसर बीत जाने पर सहायता व्यर्थ है)

जब मुझे रुपयों की आवश्यकता थी तब तो आपने दिए नहींअब मैं इन रुपयों का क्या करू का वर्षा जब कृषि सुखाने ।

कोयले की दलाली में मुँह काला = (बुरों का साथ देने पर कलंक ही लगता है)

मैं सड़क पर हुल्लड़ मचा रहे लोगों को देखने क्या रुक गया कि अचानक मौके पर आ गई पुलिस ने अन्य लोगों के साथ मुझे भी पकड़ लिया। सच हैकोयले की दलाली में मुँह काला ।

खग ही जाने खग की भाषा = (साथी ही साथी का स्वभाव जानता है)

 मेरी अपेक्षा तुम ही अनुभव से बात करोवह तुम्हारी सहेली है। खग ही जाने खग की भाषा ।

खिसियानी बिल्ली खम्मा नोचे = (किसी निरपराधी व्यक्ति पर क्रोध करना)

सारा दोष बेटी का है और डॉट लगा रहे हो नौकर पर खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे ।

 खोदा पहाड़ निकली चुहिया = (अधिक मेहनत करने पर कम फल मिलना)

 सारा दिन मेहनत करने पर भी मात्र दस रुपये मजदूरी के मिले. सोचा था कि बीस तो मिलेंगे ही। सच ही किसी ने कहा है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया ।

गंगा गए गंगादासजमुना गए जमुनादास = (अवसरवादी होना)

 तुम्हारा विश्वास कैसे कर लूँतुम तो एक बात पर टिकते नहीं। तुम्हारे लिए तो किसी ने ठीक ही कहा है— गंगा गए गंगादासजमुना गए जमुनादास ।

गुड़ खाएगुलगुलों से परहेज = (बनावटी परहेज)

 तुम्हारा भी अजीब रवैया है कि अण्डे तो खाते नहींमगर केक पेस्ट्री शौक से खाते हो। तुम पर यह उक्ति बिल्कुल सही बैठती है कि गुड खाएगुलगुलों से परहेज।

घर का भेदी लंका ढाए = (आपस की फूट से घर तबाह हो जाता है)

हमारी ही पार्टी के लोगों ने विपक्षी पार्टियों के सामने हमारी सारी पोल खोल दी। सच हैघर का भेदी लंका ढाए ।

घर की मुर्गी दाल बराबर = (घर की चीज की कद्र नहीं होती)

तुम्हारे बड़े भैया तो खुद वकील हैं और सलाह लेने के लिए तुम दूसरों के पास जाते हो। ठीक ही तो है,  घर की मुर्गी दाल बराबर ।

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए =(बहुत कंजूस होना)

मनोहर लाल एक सप्ताह से बीमार है पर खर्चे के कारण डाक्टर को नहीं बुलाना चाहता। उसके लिए तो 'चमड़ी जाए. पर दमड़ी न जाएवाली बात ठीक बैठती है।

चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात = (सुख के दिन सदा नहीं रहते)

पिता की दौलत पर जितने आराम कर लोपर याद रखो चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात

चोर की दाढ़ी में तिनका = (अपराधी स्वयं भयभीत रहता है)

चोरी होने की बात  सुनते ही नौकरानी ने सफाई देनी आरम्भ कर दीमैं तुरन्त समझ गया कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।

चोर का साथी गिरहकट= (अपने जैसा साथी मिल जाना)

मुनीलाल दुराचारी तो था हीअब उसे शराबी और जुआरी साथी और मिल गए चोर का साथी गिरहकट ।

जहाँ न पहुँचे रविवहाँ पहुँचे कवि =(कवि की कल्पना का अन्त नहीं होता)

कवियों की न पूछोउनके बारे में तो एक ही बात कही जाती है जहाँ न पहुँचे रविवहाँ पहुँचे कवि

जल में रहकर मगर से बैर= (जहाँ रहना वही के लोगों से बैर करना)

 अफसर के लिए तो काम करना ही पड़ेगाक्योंकि जल में रहकर मगर से बैर नहीं किया जा सकता।

जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय = (जिसका भगवान रक्षक है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता)  

किसी ने नेताजी पर गोली चलाई पर वे साफ बच गए। कहते हैं जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय।

जाके पैर न फटी बिवाईसो क्या जाने पीर पराई = (जिसने दुःख न भोगा होयह किसी के कष्ट को क्या जाने):

शाम्भवी ने शुभ्रा से कहा "तुमको क्या पता मेरे कष्टों का" । जाके पैर न फटी बिवाईसो क्या जाने पीर पराई।

जिसकी लाठी उसकी भैंस =(बलवान ही अधिकार जमाता है)

 जाटों ने हरिजनों की भूमि छीनकर सिद्ध कर दिया कि जिसकी लाठी उसकी भैंस ।

जिस थाली में खाना उसी में छेद करना = (कृतघ्न पुरुष)

खोखा बाबू अपने नौकर को अपने पुत्र की भाँति स्नेह देते थेमगर एक दिन उसी नौकर ने उनके घर से सब कुछ चुरा लिया। सचमुच उस नौकर ने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया।

जैसे नाग नाथ वैसे साँप नाथ= (दोनों एक समान दुष्ट एवं भयंकर प्रकृति वाले)

आप रामू और श्यामू की बातों का विश्वास मत कीजिएगाक्योंकि दोनों एक से बढ़कर

एक दुष्ट हैं। उनके लिए तो किसी ने ठीक ही कहा है जैसे नाग नाथ वैसे साँप नाथ ।

जो तोको काँटा बुवे ताहि बोय तू फूल =(बुरा करने वाले के साथ भी भलाई करें)

 पड़ोसी भले कितनी ही जली कटी सुनाएँ मगर उनका बुरा नहीं करना चाहिए। आपने

सुना ही होगा जो तोको काँटा बुवे ताहि बोय तू फूल

तेते पाँव पखारिए जेती लम्बी सौर= (आय के अनुसार खर्च करना)

आदमी को अपने खर्च पर अंकुश रखना चाहिएतभी जीवन की गाड़ी आराम से चलती है। सुना होगा तेते पाँव पसारिएजेती लम्बी सौर।

दुविधा में दोनों गएमाया मिली न राम = (संशय के कारण दोनों तरफ से हानि)

बेटे को या तो दुकान पर बिठा लो या पढ़ाई पूरी करने दो वरना उसकी हालत भी दुविधा में दोनों गए. माया मिली न रामवाली हो जाएगी।

दूध का दूधपानी का पानी= (स्पष्ट रूप से न्याय करना)

जज साहब ने क्या इन्साफ किया. दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।

तेली का तेल जले और मसालची का दिल =(एक को खर्च करते देख दूसरा परेशान)

 उमानाथ जी ने बेटी की शादी पूरी धूमधाम से कीमगर उनके पड़ोसी परेशान नजर आने लगे। किसी ने खूब कहा कि तेली का तेल जले और मसालची का दिल ।

दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है= (एक बार धोखा खाने वाला हमेशा आशकित रहता है)

 व्यापार में एक बार साझीदार से घाटा उठाने के बाद प्रभाकर अब नया व्यापार सोच समझ कर ही करता है। ठीक ही हैदूध का जला छाछ को फूंक फूंक कर पीता है।

दूर के ढोल सुहावने =(दूर की वस्तु का सुन्दर लगना)

माया नगरी मुम्बई की तारीफ सुनकर हम वहाँ घूमने गएमगर वहाँ तो हर तरफ गन्दगी नजर आई। सच है दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

दो नावों पर पैर रखना= (दुविधा में होना)

 बेटी से या तो नौकरी करवा लोया उसे पढ़ाई पूरी कर लेने दो। सुना होगा दो नावों पर पैर रखने से कुछ हासिल नहीं होता ।

धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का =(कहीं का न रहना)

 कार्तिक माता-पिता से लड़कर अपनी ससुराल गया तो वहाँ भी ज्यादा दिन न रह पाया। धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ।

पेपर न नौ मन तेल होगान राधा नाचेगी =(असम्भव शर्त लगाना)

सुनीता से कुछ 'टाइपकरने को कहातो कहने लगी कि इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर पर ही टाइप करूंगीयह तो न नौ मन तेल होगान राधा नाचेगी वाली बात हो गई।

 खोदा पहाड़ निकली चुहिया= परिश्रम अधिक फल राम मिलना।

सी.बी. आई जोध में घोटालों पर थोड़ी जानकरी ही मिल पायी। स्पष्ट है खोदा पहाड़ निकली पुड़िया।

  गंगा गये गंगादास जमुना गये जमुनादास= अवसरवादी ।

 निदक दोनों पक्षों में जाकर एक-दूसरे की बुराई करता हैवह खुद मदुभाषी बना रहता हैजिससे गंगा ग गंगादासजमुना गये जमुनादास की स्थिति उजागर होती है।

29.  आम के आम गुठलियों के दाम = दूना लाभ ।

रामलाल को बेटे के जन्मदिवस पर इतने उपहार मिले कि उसने खर्चे से चौगुना प्राप्त कर लिया। इसी को कहतेहैं आम के आम गुठलियों के दाम ।

अध जल गगरी छलकत जाय =थोड़ी विद्या या थोड़ा धन पाकर धन करना।

 संदीप ने बी ए. क्या पास कर = लियागाँव में यह किसी को कुछ समझता नहीं। इसी को कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाय।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत= अवसर बीत जाने पर पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं होता है।

 राकेश ने साल भर तो परिश्रम किया किया नहीं अत परीक्षा में फेल हो गया और लगा पश्चाताप करने उसके पिता ने उसे समझाते हुए कहा कि अब पछताए होत क्या जब चिड़ियों चुग गई खेत।

 ऊँची दुकान फीका पकवान= बाहरी तड़क-भड़क अधिक वास्तविकता कम।

 महगे अशोक होटल से अच्छा भोजन गर्नशीराम के सस्ते होटल में मिलता है। यहाँ ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात है।

का वर्षा जब कृषि सुखाने समय बीत जाने पर सहायता देने से क्या लाभ ।

भोपाल गैस पीड़ितों को राहत राशि अब मिल रही है जब स्थिति सामान्य हो चुकी है। ऐसे में का वर्षा जब कृषि

सुखाने ।

 हाथकंगन को आरसी क्या प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं।

 जहाँ तक मोहन की योग्यता का प्रश्न है उसका परीक्षाफल आपके सम्मुख है। आप देख सकते हैं हाथकगन को आरसी क्या।

दूध का दूध और पानी का पानी = सच्चा न्याय निष्पक्ष निर्णय।

 पंचायत के निर्णय ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।