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What is sentence structure

हिन्दीव्याकरण

वाक्य संरचना  क्या है ? हिन्दी - What is sentence structure / GOES


वाक्य संरचना  क्या है ?

वाक्य संरचना

सार्थक शब्दों का सुव्यवस्थित क्रम में प्रयोग करना ही वाक्य कहलाता है। मनुष्य अपनी भावनाओं को दो प्रकार से अभिव्यक्त करता है-

(1) मौखिक रूप में 

(2) लिखित रूप में 

जिस शब्द समूह से कोई भाव प्रकट होता है या पूर्ण अर्थ की प्रतीति होती है उसे वाक्य कहते हैं। प. कामता प्रसाद गुरु के शब्दों में एक पूर्ण विचार व्यक्त करनेवाला शब्द समूह वाक्य कहलाता है।"

    वाक्य रचना की विशिष्टताएँ

    (1) अर्थ की स्पष्टता

    (2) विचारों को जागृत करने की क्षमता

    (3) शब्दों का निश्चित क्रम ।

    (4) माधुर्य

    शुद्ध वाक्य रचना

    (1) क्रम:

    क्यों में शब्दों के क्रम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे- हिन्दी में कर्ता का स्थान वाक्य के प्रारंभ में होता है। इसके पश्चात् कर्म तथा क्रिया आती है। उदाहरण- राम संगीत सीख रहा है। यहाँ राम कर्ता संगीत कर्म तथा सीख रहा है क्रिया है।

    (2)न्वय -

    लिंग, वचन, पुरुष तथा काल के अनुसार वाक्य के शब्दों में परस्पर सम्बन्ध रहता है। इस सम्बन्ध को अन्यय कहते है ये सम्बन्ध निम्नलिखित प्रकार से हो सकते हैं

    (1) कर्ता और क्रिया-: 

    (अ) यदि कर्ता बिना विभक्ति का है तो क्रिया कर्ता के लिंग, वचन तथा पुरुष के अनुसार होगी।

    जैसे- (1) राम आम खाता है।

    (2) लड़कियाँ खेल रही हैं।

    (ब) वाक्य में यदि बिना विभक्ति के कर्ता हो परन्तु उनका लिंग, वचन तथा पुरुष समान हो

    तो क्रिया उसी लिंग के बहुवचन में होगी। जैसे-

    (1) गाय और बकरी चर रही है।

    (2) राम श्याम और घनश्याम खेल रहे हैं।

    (स) यदि वाक्य के विभिन्न लिंग के दो कर्ता हो तो उनकी क्रिया पुल्लिंग बहुवचन में होगी।

     जैसे- (1) माता-पिता विश्राम कर रहे हैं।

    (2) पति-पत्नी खुशियाँ मना रहे हैं।

    (3) शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते हैं।

    (2) कर्म और क्रिया- (अ) यदि वाक्य में कर्ता के साथ ने विभक्ति हो, परन्तु कर्म के साथ 'को विभक्ति न हो तो क्रिया कर्म के अनुसार होगी।

    - जैसे- (1) मैंने पुस्तक पढ़ी।

    (2) श्रद्धा ने फल खाए।

    (3) मोहन ने रोटी खाई।

    (ब) यदि कर्ता तथा कर्म दोनों के साथ विभक्ति चिह्न लगे तो क्रिया एकवचन पुल्लिंग होगी।

    जैसे- (1) धोबी ने वस्त्रों को जला डाला।

     (2) गीता ने सीता को मारा।

    (स) यदि एक ही लिंग, वचन के अनेक कर्म एक साथ प्रयोग किये गए हों तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन में होगी।

    जैसे- (1) मोहन ने गाय और भैंस बेची।

    (2) रमा ने आम और सेव खाए।

     

    (3) संज्ञा और सर्वनाम—:  सर्वनाम का लिंग, वचन उस संज्ञा के अनुसार रहता है, जिसके पहले वह प्रयुक्त होता है।

    'जैसे- (1) छात्र नहीं चाहते कि उन्हें सजा मिले।

    (2) रीता ने कहा कि वह पुस्तक पढ़ेगी।

    (4) अन्य (अ) प्रत्येक, कोई किसी का प्रयोग एकवचन में किया जाता है।

    जैसे- (1) प्रत्येक सदस्य यही चाहता है।

    (2) किसी ने उसे नहीं देखा।

    (ब) यदि संज्ञा कर्ता है तो क्रिया का लिंग वचन के अनुसार होगा।..

    जैसे- (1) आगरा ऐतिहासिक नगर रहा है।

    (2) दिल्ली पहले भी राजधानी रही है।

    वाक्यों के भेद

    वाक्य के प्रकार एवं वाक्य परिवर्तन

    (अ) रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार है

    (1) साधारण (सरल) वाक्य- जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया होती है, उसे सरल वाक्य कहते हैं।

    जैसे- (1) राम फल खा रहा है।

    (2) विवेक पढ़ रहा है।

    (2) मिश्रवाक्य‌-:  जिस वाक्य में साधारण वाक्य के अतिरिक्त उसके आश्रित कोई अन्य वाक्य हो उसे मिश्रित या मिश्रवाक्य कहते हैं।

    जैसे- (1) यह वही मैदान है जहाँ में खेला करता था।

    (2) जब तक राम लौटकर नहीं आए तब तक भरत राज्य की देखभाल करते रहे।

    (3) संयुक्त वाक्य-: (अ) जिस वाक्य में एक से अधिक मुख्य उपवाक्य हो उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। दोनों ही स्वतंत्र भाव व्यक्त करने में स्वतंत्र रहते हैं।

    जैसे- (1) मैं रोटी खाकर लेटा ही था कि पेट में दर्द होने लगा।

    (2) सूर्योदय हुआ और किसान खेत पर चला गया।

    (ब) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार-

    (1) विधिवाचक- जिस वाक्य में कार्य करने का बोध हो

    जैसे- (1) मैंने भोजन कर लिया है।

    (2) राम फल खा रहा है।

    (2 ) निषेधवाचक - जहाँ कार्य के न होने का बोध हो

    जैसे- (1) वहाँ तुम्हें नहीं जाना है।

    (3) आज्ञावाचक - जहाँ आदेश का बोध हो।

    जैसे- मोहन दवा लेकर आओ।

    (4) प्रश्नवाचक -  प्रश्न का बोध जहाँ पर हो।

    जैसे- यह कौन-सा नगर है ?

    (5) विस्मयादिबोधक:-  जहाँ पर विस्मय अथवा आश्चर्य का बोध हो।

    जैसे- (1) ओह! इतनी गर्मी में में नहीं जाऊँगा।

    (2) अहा ताजमहल अद्भुत है।

    (6) संदेहवाचक- जहाँ शंका या सभावना व्यक्त की गई हो।

    जैसे- (1) मुझे आशा नहीं थी कि वह आज आएगा।

    (2) मोहन संभवतः कल आएगा।

    (7) इच्छावाचक- किसी प्रकार की इच्छा का जहाँ बोध हो ।

    जैसे- (1) तुम्हारा मंगल हो ।

    (2) ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे।

    (8) संकेतवाचक- जहाँ एक वाक्य दूसरे की संभावना पर निर्भर हो, वह संकेतवाचक वाक्य कहलाता है, जैसे- (1) पानी न बरसता तो धान सूख जाता।

    (2) यदि तुम चलोगे तो मै भी चलूँगा।


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