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पेरिस की शान्ति संधि क्या है ?  व वर्साय की संधि  - GOES | Paris peace treaties

 पेरिस की शान्ति संधियाँ | Paris peace treaties 

पेरिस की शान्ति संधि क्या है ?

जनवरी और जून 1919 के बीच विजयी शक्तियों (मित्र राष्ट्रों) का एक सम्मेलन पहले पेरिस के उपनगर वरसाई में और फिर पेरिस में हुआ । यद्यपि इस सम्मेलन में 27 देश भाग ले रहे थे। मगर शान्ति सन्धियाँ की शर्तें केवल तीन देश ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका तय कर रहे थे। शान्ति संधियों की शर्तें निर्धारित करने में जिन तीन व्यक्तियों ने निर्णायक भूमिका निभायी वे थे

अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लायड जार्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जार्ज क्लेनेशों। सम्मेलन में पराजित देशों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। विजेता देशों के सम्मेलन से रूस को भी बाहर रखा गया। इस तरह इस संधि की शर्तें पराजित और विजता देशों के बीच बातचीत के द्वारा नहीं तय हुई बल्कि वे विजेताओं द्वारा पराजित देशों पर लादी गई।

 

शान्ति संधियों में वर्साय की संधि, जो 28 जून 1919 को जर्मनी के साथ हुई, विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसमें जर्मनी और उसके मित्र राष्ट्रों को युद्ध छेड़ने का दोषी घोषित किया गया। जर्मनी को विवश किया गया कि वह वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करे। खेद की बात तो यह है कि 27 विजेता देशों के प्रतिनिधि इसमें शामिल थे परन्तु जर्मनी का कोई प्रतिनिधि नहीं बुलाया गया था जिससे कि उसका संधि पत्र पर कोई विरोध हो।

    वर्साय की संधि की प्रमुख शर्त निम्नलिखित थी


    (1) जर्मनी से आल्सेस और लॉरेन के प्रान्त वापस लेकर फ्रांस को दे दिए गए।

    (2) आस्ट्रिया और जर्मनी के बहुत से इलाकों को लेकर पोलैण्ड और चेकोस्लोवाकिया नामक दो नए राज्यों का निर्माण किया गया।

    (3) जर्मनी के बीच का कुछ भाग पोलैण्ड के हवाले कर दिया गया। इस प्रकार जर्मनी के दो भाग कर दिए गए।

    (4) यूरोप के बाहर जर्मनी अधीन बस्तियों का बँटवारा ब्रिटेन फ्रांस व जापान आदि देशों ने आपस में कर लिया।

    (5) पोलैण्ड तथा अन्य देशों के प्रयोग के लिए जर्मनी की डानजिंग बन्दरगाह खोल दी गई।

    (6) जर्मनी के कुछ भाग डेनमार्क और बेल्जियम को दे दिए गए।

    (7) आस्ट्रिया के बहुत से क्षेत्र इटली आदि देशों को दे दिए गए।

    (8) हंगरी का राज्य आस्ट्रिया से अलग कर दिया गया।

    (9) बल्गारिया के कई प्रदेश युनान, रूमानिया और यूगोस्लाविया के हवाले कर दिए गए।

    (10) युद्ध में मित्र राष्ट्रों को जो हानियाँ और क्षतियाँ हुई थी उसका हरजाना भी जर्मनी को भरना पड़ा। उसके लिए 6 अरब 50 करोड़ पौंड की भारी रकम निश्चित की गई।

    (11) जर्मनी की स्थल सेना 1 लाख नौ सेना 15000, 6 युद्ध पोत, 6 हल्के क्रुज तथा 12 तार पीडो नौका, वायु सेना और वायुयान थे जिसे रखने की स्वीकृतिउसे नहीं दी गई।


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