योजना |
वृद्ध और निःशक्तजनों के कल्याण की योजना (Welfare planing for old and disable persons)
भारत एक प्रजातांत्रिक समाजवादी गणराज्य है। अतः समानता, स्वतंत्रता व न्याय पर विश्वास करता है।
समाजवाद का मुख्य उद्देश्य समानता की स्थापना है। प्रत्येक समाजवादी देश
लोककल्याणकारी योजनाओं की प्राथमिकता देकर समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे बढ़ने का
अवसर देना चाहता है। वृद्ध व अशक्तजन हमारे देश के अभिन्न अंग हैं। ये समाज की वे
इकाई हैं। जिनके अनुभव से ही समाज व देश निरंतर प्रगति करता है। ऐसे व्यक्तियों को
विशेष सुविधा देना राज्य का कर्तव्य है। जिससे वे राज्य की विकासधारा के अभिन्न
अंग बन सकें वृद्ध हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव
अब हमारे परिवारों के संगठन पर भी देखा जा सकता है।
अब परिवार प्रणाली संयुक्त न होकर एकल होने लगी है और एकल परिवारों में
पति-पत्नी व दो बच्चे ही परिवार बना रहे हैं तथा वृद्ध जनों की निरंतर उपेक्षा हो
रही है। यह एकल राज्य व समाज का दायित्व है कि वे उनकी सुरक्षा के लिए नियम बनाएं।
प्रायः वृद्ध दंपत्ति की देखभाल करने वाला कोई बेटा नहीं होता है। खासकर वे
दम्पत्ति जिनके एक मात्र पुत्र विदेश जाकर बस उनकी देखभाल राज्य का परम दायित्व
है। गए हैं। उनके जीवन की सुरक्षा तथा
अतः इस ओर हमारे प्रदेश में तथा सम्पूर्ण भारत में वहाँ की सरकारों कुछ कानूनी
व्यवस्थाओं के द्वारा उनकी रक्षा का भार अपने ऊपर ले रही हैं। वैसे यह प्रयास अभी
काफी कम हैं। उनमें निरंतर सुधार की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ में वृद्ध व अशक्त
जनों के लिए कुछ महत्वपूर्ण योजनाएँ हैं ।
छत्तीसगढ़ में लागू (वृद्ध व निःशक्तजनों के लिए) योजनाएँ( Schemes implemented in Chhattisgarh (for old and disabled) )
1.सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना:( Social Security Pension Scheme )
छत्तीसगढ़ के शहरी नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में
ऐसे परिवार जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं तथा ऐसे परिवार के कमाई
करने वाले सदस्य की मृत्यु हो जाये तो ऐसे मृतक जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के मध्य हो
को आर्थिक सहायता 10,000 एकमुश्त के रूप
में राशि दी जाती है। इसके लिए उस परिवार के द्वारा स्थानीय निकाय में निःशुल्क
निर्धारित आवेदन पत्र पर आवेदन करना अवाश्यक होता है। ऐसे आवेदन पत्रों पर नगर
निगम, नगरपालिका या जनपद पंचायत
का अनुमोदन आवश्यक है।
2.वृद्धाश्रमों का संचालन:( Operation of old age homes )
वरिष्ठ नागरिक सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें। इस उद्देश्य से 60 वर्ष या अधिक आयु के छत्तीसगढ़ निवासी को इन
वृद्धाश्रमों में निःशुल्क आवास,
भोजन, वस्त्र, चिकित्सा व
मनोरंजन की सुविधाएं दी जाती है। संबंधित स्वैच्छिक संस्था, जिला पंचायत एवं समाजकल्याण विभाग को आवेदन देकर इसमें
प्रवेश पाया जा सकता है। निर्धारित प्रारूप में आवेदन करने पर इन आश्रमों में
रिक्त स्थान होने पर ही प्रवेश दिया जाता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में निम्न
वृद्धाश्रम है:
छत्तीसगढ़ में निम्न वृद्धाश्रम
v प्रबंधक छत्तीसगढ़ बाल व वृद्धकल्याण परिषद माना कैम्प, रायपुर ।
v आश्रम लायन्स वृद्धाश्रम, श्याम नगर,रायपुर।
v जनपरिषद मारवाड़ी लेन, बिलासपुर
v इण्डियन रेडक्रास सोसाइटी पुलगांवनाला, दुर्ग।
v भारतीय रेडक्रास सोसाइटी, मुख्यचिकित्सालय, रायगढ़ ।
v स्वामी विवेकानंद सेवा आश्रम अम्बिकापुर, सरगुजा ।
v आस्था निकुंज वृद्धाश्रम, धरमपुरा,जगदलपुर ।
v प्रशांति वृद्धाश्रम सर्वमंगला मंदिर.कोरबा |
v अशासकीय स्वयंसेवी संस्था समता मंच सदर बाजार, राजनांदगांव।
v जलाराम वृद्धाश्रम, रूदरी रोड, धमतरी।
3. सामाजिक सुरक्षा, पेंशन योजना:(Social Security, Pension Scheme )-
शहरी नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में निराश्रित वृद्ध
तथा निःशक्तजन विधवा हितग्राहियों को आर्थिक सहायता देकर सम्मानपूर्वक जीवनयापन की ओर अग्रसर करना इस योजना
का उद्देश्य है। 60 वर्ष या अधिक
आयु के निराश्रित वृद्ध । 50 वर्ष या अधिक
आयु की निराश्रित विधवा/परिपक्वता महिलाएँ । गरीबी रेखा के नीचे परिवार के विकलांग
बच्चे या अधिक आयु के निःशक्तजनों को इस योजना के अंतर्गत 150 रूपए प्रतिमाह राशि देय है। इस हेतु निःशुल्क
निर्धारित फार्म पर ग्राम पंचायत या ग्रामीण क्षेत्र ग्राम पंचायत को आवेदन पत्र
देना आवश्यक है तथा उन्हीं की स्वीकृति पर यह राशि देय है। नगरपालिका/ नगरनिगम
उपरोक्त कार्य शहरी या नगरीय क्षेत्र में करती है।
4. राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन:( National Old Age Pension )
नगरीय, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों
में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में इस योजना का क्रियान्वयन है। इस योजना में निराश्रित
एवं वृद्ध या अशक्तजनों को उनके वृद्धावस्था में निर्धारित पेंशन देनें का
प्रावधान हैं। 65 वर्ष या उससे
अधिक आयु के निराश्रित वृद्ध 150 रू. प्रतिमाह
राशि प्राप्त करते हैं। यह राशि भी निर्धारित निःशुल्क आवेदन पत्र कें द्वारा
ग्राम पंचायत नगर पालिका या नगर निगम के द्वारा स्वीकृत की जाती है।
5.मानसिक अयोग्यता से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायताः(Financial assistance to a person suffering from mental incapacity )
मानसिक अयोग्यता से पीड़ित वह व्यक्ति है जो मानसिक रूप से अपना काम करने में
अक्षम हो ऐसे व्यक्तियों के लिए उचित देखरेख का कार्य राज्य सरकार के द्वारा किया
जाता है। राज्य शासन ऐसे व्यक्तियों की उचित देखभाल तथा उनकी सम्पत्ति की देखरेख
के लिए आवेदन करने पर उन्हें चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती करना तथा रिश्तेदारों द्वारा उनके
भरण-पोषण की उपेक्षा करने पर मजिस्ट्रेट द्वारा 2000/- रू. जुर्माना का दंड देकर देखभाल के लिए बाध्य कर सकती है।
6.वृद्धजनों की सुरक्षा:( Protection of the elderly )
महानगरों तथा नगरों में वृद्ध दम्पति के लूटे जाने अथवा उनकी हत्या कर लूट
लेने की खबर आये दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं। इस हेतु भी राज्य सरकारें
क्रेडीट कार्ड रखने तथा अपनी मूल्यवान सम्पत्ति को लाकर में रखने तथा देखभाल कर
पुलिस स्टेशन में खबर करके नौकर, नौकरानी रखने तथा
कालोनी चौकीदारों पर पुलिस द्वारा नजर रखने का प्रयास कर इन्हें कम से कम घटनाओं
की पुनरावृत्ति हेतु सरकार प्रयासरत है।
आज देश में वृद्ध व अपाहिज, हीन, उपेक्षा, के शिकार हैं। सामाजिक परिवर्तन तेजी से हो रहे हैं।
फलस्वरूप संयुक्त परिवार बिखरने लगे हैं। रोजगार के लिए महानगरों एवं विदेश जाने
की रीति ने इसे अत्यंत दुरूह बना दिया है। जिस बुजुर्ग व अपाहिज को स्नेह व सम्मान
मिलना चाहिए था तथा जो घर का संरक्षक सदस्य रहा वह भावनात्मक दृष्टि से टुट रहा
है। वह घर में बेगानापन महसूस कर रहा है- वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करने वाला
कोई नहीं हैं कई बार तो वे लूटपाट व हत्या के शिकार होते हैं। ऐसी स्थिति में
वृद्ध व अपाहिज व्यक्ति के वर्ग को सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।
वृद्धावस्था के लिए सुरक्षा के निम्न व्यवस्थाएँ
Ø विशेष पैकेज प्रदान किया जावे। इस हेतु स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से उन्हें लागू करना उचित होगा।
Ø इस वर्ग के लोगों की देखरेख हेतु व भावनात्मक सुरक्षा हेतु विशेष स्वास्थ्य शिविर व स्वैच्छिक शिविर जिसमें सेवाभावी लोग सदस्य बने आयोजित हो ।
Ø जरूरत में वृद्धों व अपाहिजों को वृद्धाश्रम व अन्य आश्रमों में रहने की सुविधाएँ दी जाए। इन्हें सरकारी संरक्षण प्राप्त होना चाहिए। उनके भरण-पोषण हेतु पर्याप्त पेंशन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
Ø उनकी उचित देखभाल के लिए एक निगम बनाया जाये तथा उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना में लागू हो।
Ø विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर, अधिकारों की रक्षा व पूर्ण सहभागिता अधिनियम का लाभ मिलना चाहिए।
Ø राज्य स्तर पर पुनर्वास हेतु- शिक्षा, रोजगार, व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कृत्रिम अंग निर्माण का कार्य भी किया जाना चाहिए। ताकि अपंग व्यक्ति उनका लाभ उठा सके।
Ø सुनने व बोलने अक्षम बधिर तथा मूक व्यक्तियों की कठिनाई दूर करने अनुसंधान किये जाने चाहिए। विकलांगों के लिए विशेष रोजगार केन्द्र खोले जाने चाहिए । जिसे सरकार शत-प्रतिशत अनुदान दे। भारतीय पुनर्वास परिषद जो अपाहिजों के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है उसके क्षेत्राधिकार बढाये जाने चाहिए।
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