बहुकोशिकीय
बहुकोशिकीय जीवो में
बाह्य कोशिकीय पाचन (Extracellular Digestion) पाया जाता हैं इस पाचन में भोज्य पदार्थों का पाचन कोशिका
के बाहर होता है। टिड्डा (Grass hopper) शाकाहारी जीव है तथा पौधों की पत्तियां खाता
है। इसके मुँह के विशेष अंग भोजन को कुतरने व निगलने में सहायक होते हैं, इसके पाचन तंत्र
के तीन भाग क्रमशः अग्र भाग, मध्यभाग तथा पश्च भाग होते हैं। जिसमें मुँह, ग्रासनली. ग्रसनी
क्रॉप तथा गिजर्ड तक अग्रभाग में आते हैं क्रॉप के दोनो ओर एक जोड़ी लार ग्रंथियाँ
पायी जाती है गिजर्ड की दीवारें मोटी होती हैं जो भोजन को पीसने का काम करती है।
गिजर्ड से छोटी आंत तक का
भाग मध्य भाग कहलाता है। इसके अगले भाग में छ: जोड़ी ग्रंथि पायी जाती हैं जो कि
आमाशय में खुलती हैं जिन्हें हेपेटिक सीका' कहते हैं। यह पाचक रस स्त्रावित करती हैं। छोटी आंत, बड़ी आंत तथा
मलाशय पश्च भाग कहलाता है। मध्य व पश्च भाग के जोड़ पर असंख्य धागे नुमा चित्र
नलिकायें पायी जाती है, उन्हे मालपिजियन
नलिकायें कहते हैं जो कि उत्सर्जक अंग हैं इसके मुँह में खाई गई पत्तियों लार
ग्रंथियों से निकलने वाली लार से मिलती है। लार इन्हें चिकना व नम बनाती हैं। इसमें
कुछ एन्ज़ाइम भी पाये जाते है जो मण्ड का पाचन करते हैं। मुंह से भोजन ग्रासनली से
होता हुआ क्रॉप में थोडे समय के लिये जमा होता है। क्रॉप से भोजन गिजर्ड में
पहुचता है जहां इसकी पेशियों द्वारा भोजन पीसा जाता है। गिजर्ड से भोजन आमाशय में
पहुचता है जिसमें हेपेटिकसीका
से निकलने के वाला पाचक रस इसमें अमीबा का कूटपाद द्वारा भोजन को कोशिका के अन्दर
ले जाने की क्रिया को गोसाइटोसिस
मिलता हैं तथा भोजन का
पाचन करता है पचे हुये भोजन का अवशोषण छोटी आंत में होता हैं। बड़ी आंत में अपचित
भोजन एकत्रित होता है। जहां से समय-समय पर गुदा (Anus) द्वार अथवा मलाशय
द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

0 Comments