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गॉल्जीकाय या
गॉल्गी उपकरण
(Golgi Bodies or Golgi pparatus)
गॉल्जीकाय ( Golgi bodies) लाल रुधिर कणिकाओं को छोड़कर सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में समतल झिल्लियों के गुच्छे के रूप में पाया जाता है । ये मुख्यता कोशिकाओ मे Secretory Vensicles का निर्माण करते है । तथा गॉल्जीकाय ( Golgi bodies) की सरचना व कार्य भी सभी कोशिकाओ के लिए महत्वपूर्ण होता है ।
गॉल्जीकाय की खोज
[Discovery of golgi body]
गॉल्गी काय ( Golgi bodies) की खोज किसने सबसे पहले किया है ? गॉल्गी काय ( Golgi bodies) की खोज कब हुई ? गॉल्गी काय ( Golgi bodies) की खोज कर्ता वैज्ञानिक का क्या नाम है ? इस सभी के बारे मे नीचे देखते है की गॉल्गी काय ( Golgi bodies) की खोज किसने की और कब की -
गॉल्जीकाय ( Golgi bodies) की खोज खोज इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैमिलियो गॉल्गी (Camillio Golgi, 1898) ने किया था, जिसके लिए इन्हें सन् 1906 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कुछ अकशेरुकी जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं में यह अनेक असम्बद्ध इकाइयों के रूप में बिखरा होता है, जिन्हें डिस्टियोसोम्स (Dictyosomes) कहते हैं।
एक जन्तु कोशिका (Animal Cells) में 3-7 तथा पादप कोशिका ( Plant Cells) में 10-20 गॉल्गी काय पाये जाते हैं, लेकिन कुछ निम्न श्रेणी के जन्तुओं में केवल एक ही गॉल्गीकाय ( Golgi bodies) पाया जाता है।
गॉल्जीकाय की संरचना
गॉल्गीकाय ( Golgi bodies) इकाई झिल्ली की बनी दोहरी इकाइयाँ हैं, जो एक खाली स्थान के द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित होती हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखने पर गॉल्गी काय तीन घटकों में दिखाई देते हैं
1.चपटे कोष (Cisternae)—
ये लम्बे तथा चपटे कोष होते हैं, जो चिकनी झिल्लियों के चट्टे के रूप में पाये जाते हैं। इनकी संख्या 4-7 तक होती है। प्रत्येक सिस्टर्नी की मोटाई लगभग 60A तक होती है।
2. आशय (Vesicles)–
ये लगभग 60 व्यास की छोटी-छोटी थैलियों के रूप में होती हैं। ये स्वयं के मुकुलन या चपटे कोषों के आकुंचन से बनती हैं।
3. रिक्तिकाएँ (Vacuoles)-
ये गॉल्गी काय ( Golgi bodies) के उपान्तों पर बड़ी गोलाकार धानियों के रूप में पायी जाती हैं तथा चपटे कोषों के विस्तार से बनती हैं। इनमें एक प्रकार का गाढ़ा द्रव भरा होता है।
गॉल्गी काय ( Golgi bodies) की उत्पत्ति के बारे में वैज्ञानिकों में मतैक्य नहीं है, लेकिन अधिकांश वैज्ञानिक इसकी उत्पत्ति ER के समान ही मानते हैं। रचनात्मक दृष्टि से भी यह चिकने ER के समान ही होता है
भिन्न-भिन्न कोशिकाओं वाला गॉल्गीकाय (Golgi bodies) अनेक आकार, रूप एवं आकृति में पाया जाता है। एक ही कोशिका में भी इसका आकार समय-समय पर बदलता रहता है। नयी बनी कोशिकाओं में यह काफी सुविकसित होता है, लेकिन जैसे-जैसे कोशिका पुरानी होती जाती है यह हासित होता जाता है और अन्त में पूर्णतः समाप्त हो जाता है।
गॉल्गी काय ( Golgi bodies) के सभी सिस्टर्नी किनारे पर कुछ मुड़े होते हैं, जिसके कारण ये प्याले की आकृति धारण कर लेते हैं। चपटी थैली (Cisternae) की उत्तल (Convex) सतह को Forming अथवा Cis-face तथा अवतल (Concave) सतह को Maturing अथवा Trans-face कहते हैं। Forming face केन्द्रक या ER की तरफ तथा Maturing face प्लाज्मा झिल्ली की तरफ उन्मुख रहती है।
वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि चिकने ER से कुछ थैलियाँ निकलकर हमेशा गॉल्गी काय से जुड़ती रहती हैं और गॉल्गी काय से कुछ स्रावी आशय (Secretory vesicles) अलग होते रहते हैं, इसी कारण गॉल्गी काय ( Golgi bodies) का आकार एक जैसा बना रहता है। गॉल्गी के सभी रूपों में एक प्रकार का गाढ़ा तरल पदार्थ भरा रहता है।
गॉल्जीकाय के कार्य
[Golgi function]
- गॉल्जीकाय (Golgi bodies ) ये स्रावी आशयों (Secretory vesicles) को बनाते हैं, जो प्लाज्मा झिल्ली के पास जाकर फटकर स्रावी पदार्थों को कोशिका से बाहर कर देते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) लाइसोसोम्स का निर्माण करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) अनेक कार्बोहाइड्रेट के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) कोशिका भित्ति का निर्माण, स्त्रावण द्वारा करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) के उपास्थियों के आधार पदार्थ का स्रावण करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) वर्गोंस (Burgos) और फाउसेट (Fowcell, 1955) के अनुसार, शुक्राणुजनन के के समय ये शुक्राणुओं क़े अग्र भाग या एक्रोसोम (Acrosome) का निर्माण करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) कोशिका विभाजन के समय कोशिका भ्रस्ट (Cell plate) का निर्माण करते हैं।
- गॉल्गी काय ( Golgi bodies) ये मुख्यता कोशिकाओ मे Secretory Vensicles का निर्माण करते है
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