भू-विज्ञानों से सम्बन्ध (Geology)भौतिक भूगोल की परिभाषा ( Definition of Physical Geography)भौतिक भूगोल की प्रकृति (Nature of Physical Geography) amucuce on man.)

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भू-विज्ञानों से सम्बन्ध (Geology)भौतिक भूगोल की परिभाषा ( Definition of Physical Geography)भौतिक भूगोल की प्रकृति (Nature of Physical Geography) amucuce on man.)

 




भू-विज्ञानों से सम्बन्ध (Geology)

भूगोल शास्त्र में ब्रह्माण्ड के सभी नक्षत्रों व गृहों का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है। अतः भूगोल विषय को एक विज्ञान माना गया है और जिसमें अनेकों विज्ञान समाये हुए हैं। अन्य शब्दों में कह सकते हैं कि भूगोल एक प्राचीनतम विषय हैं, जिसकी उत्पत्ति खगोलशास्त्र (Astronomy) से हुई थी। प्राचीन विज्ञान खगोलशास्त्र में पृथ्वी की समस्त गतिविधियों का अध्ययन किया जाता था। पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण भाग वायुमण्डल था और प्राचीन विचारधारा के अनुसार नक्षत्रों का अध्ययन भी इसका एक प्रमुख अंग था। इस खगोलशास्त्र विज्ञान में ब्रह्माण्ड के सभी भागों का अध्ययन सम्मिलित था। इसी खगोलशास्त्र से भूगोल विज्ञान का जन्म हुआ। बाद में भूगोल से भौतिक भूगोल (Physical Geography), कृषि भूगोल (Agriculture Geography), वाणिज्य भूगोल, (Commerce Geography), आर्थिक भूगोल (Economic Geography), राजनैतिक भूगोल, (Political Geography), मानव भूगोल (Human Geography), पर्यावरण भूगोल (Environmental Geography), प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography), भूगर्भ विज्ञान (Geology), ऋतु विज्ञान (Meteorology), जन्तु विज्ञान (Zoology), वनस्पति विज्ञान (Botany), प्रयोगात्मक भूगोल (Practical Geography), ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography), सामुद्रिक भूगोल (Ocean Geography), जलवायु विज्ञान (Dimatology), गणित भूगोल, (Mathematic Geography), सामाजिक भूगोल (Social Geography) आदि अनेकों शाखाओं का जन्म हुआ।

भौतिक भूगोल, भूगोल विषय का एक अंग अथवा शाखा है। भौतिक भूगोल की परिभाषा दिये जाने से पूर्व भूगोल विषय को परिभाषित करना अति आवश्यक है। सामान्य रूप से भूगोल का अर्थ पृथ्वी पर मिलने वाले समस्त भू-स्वरूपों के अध्ययन से लगाया जाता है। भूगोल विषय का प्रारम्भिक रूप नक्षत्र शास्त्र था। जिसमें ब्रह्माण्ड में मिलने वाले सभी ग्रहों, उपग्रहों, तारागण, आकाशगंगा, ध्रुव तारा एवं अन्य सौर मण्डल के स्वरूप, पृथ्वी का आकार और पृथ्वी की गतियों का अध्ययन भी सम्मिलित था। प्राचीन विचारधारा वर्तमान विचारधारा से भिन्न थी। यूनान के बाद रोम में इस विषय का विस्तार हुआ। यूनान एवं रोम के अनेकों विद्वानों ने, जिनमें हेरोडोटस (Harodotes), गैलीलियो (Galileo), अरस्तु (Aristotle), हैक्रेटियस (Haketeus), अनेग्जीमेण्डर (Anaximander), इरेटास्थनीज (Eratosthenes), हार्टशोन (Hartshone), स्ट्रैबो (Strabo), टॉलेमी (Ptolemy), पोलिवियस (Polibeus), बर्नहार्ड वारेनियस (Bernhard Varenius), हिप्पारकस (Hipparchus) आदि ने भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत किये। इन भौगोलिक वर्णनों में अधिकांश वर्णन पृथ्वी तथा पृथ्वी के चारों ओर मिलने वाले समस्त स्वरूपों के थे। इरेटास्थनीज ने सर्वप्रथम 'ज्योग्राफिया' (Geographia) शब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ भूगोल विषय से था। इसीलिये प्रसिद्ध विद्वान इरेटास्थनीज को भूगोल विषय का जनक कहा जाता है।

भौतिक भूगोल की परिभाषा ( Definition of Physical Geography)

 

जिस प्रकार से भूगोल पृथ्वी के स्वरूपों और पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों का अध्ययन है, उसी प्रकार भौतिक भूगोल पृथ्वी पर मिलने वाली सभी भौतिक इकाइयों का अध्ययन है। भौतिक भूगोल, भूगोल विषय की ही एक प्रमुख शाखा है, जो पृथ्वी पर मिलने वाले सभी भू-स्वरूपों का विस्तार से अध्ययन करता है। पृथ्वी पर मिलने वाले समस्त महाद्वीप, महासागर, द्वीप, नदियाँ, पर्वत, घाटियाँ, सागर, झीलें जलप्रपात, डेल्टा, मैदान, मरुस्थल, हिमनद तथा अन्य भू-स्थलाकृतियों का अध्ययन भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। यही नहीं, जलमण्डल में मिलने वाली समस्त प्राकृतिक इकाइयों का अध्ययन भी भौतिक भूगोल में किया जाता है। जैसे सामुदिक धाराएँ, सामुद्रिक जल का खारीपन, सामुद्रिक जीव-जन्तु, मूंगे की चट्टानें, समुद्र के अन्दर मिलने वाले मोती, जवाहरात, शंख आदि। इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में मिलने वाली समस्त दशाओं का अध्ययन भी भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है, जिसमें वर्षा, आर्द्रता, तापमान, वायु-ताप एवं वायु-गति, ओला-वर्षा, ओस, बादलों के विभिन्न प्रकार आदि हैं। ब्रह्माण्ड एवं ब्रह्माण्ड में मिलने वाले सभी ग्रह, उपग्रह, तारामण्डल, आकाशगंगा, पुच्छल तारे, अवान्तर ग्रह, आकाशीय पिण्ड, सूर्य तथा ब्रह्माण्ड की अन्य सभी बातों का अध्ययन भी भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है।

इस प्रकार हम साधारण भाषा में कह सकते हैं कि, भौतिक भूगोल में स्थलमण्डल (Lithosphere), जलमण्डल (Hydrosphere), वायुमण्डल (Atmosphere), ब्रह्माण्ड (Universe) एवं जैवमण्डल (Biosphere) की समस्त इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। भौतिक वातावरण के विभिन्न स्वरूपों में परिवर्तन होता रहता है। इस परिवर्तन का प्रभाव मानव तथा अन्य समस्त जीवों पर भी पड़ता है। विभिन्न स्थलाकृतियाँ बनती रहती हैं तथा बिगड़ती रहती है। इससे धरातलीय स्वरूपों के परिवर्तन के साथ-साथ मानव के जीवन में भी परिवर्तन होते रहते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण जापान में व्यक्तियों के भवनों का निर्माण काठ (लकड़ी) द्वारा होना है, क्योंकि वहाँ प्रायः भूकम्प आते रहते हैं। अलास्का तथा न्यूफाउण्डलैण्ड (उत्तरी अमेरिका) में एस्कीमो जाति के व्यक्तियों के मकानों का बर्फ से बना होना (इग्लू) वहाँ के भौतिक वातावरण का ही परिणाम है।

भौतिक भूगोल की प्रकृति (Nature of Physical Geography) amucuce on man.)

पृथ्वी पर मनुष्य ने जन्म लिया है और विकसित हुआ है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण इस पृथ्वी की मिट्टी, जल और वायु का ऋणी है। उसके जीवन के सुख और दुख के क्षण इसी पृथ्वी पर आये और विस्मृत हुए। पृथ्वी की हरियाली और शुष्कता, पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र, समुद्र का भयानक एवं शान्त दृश्य और नदियों की बाढ़े तथा शान्त बहाव, जलवायु की भीषण कठोरता एवं वर्षात की सुखद प्राप्ति मानव के जीवन के विभिन्न पक्ष रहे हैं और इन सभी भौतिक स्वरूपों से उसने समन्वय किया है। कहीं 1 मनुष्य इन भौतिक स्वरूपों का दास बनकर रहा है, तो कहीं उसने इनमें क्रान्तिकारी परिवर्तन किये हैं। पृथ्वी के विभिन्न भू-स्वरूप मानव को जीवन से लेकर मृत्यु तक प्रभावित करते रहते हैं।

भौतिक भूगोल की प्रकृति, क्षेत्र एवं अन्य भू-विज्ञानों (Nature, scope and other geo-sciences of physical geography)

भौतिक भूगोल की प्रकृति सामान्य रूप से मनुष्य एवं अन्य जीव-जन्तुओं को विकास की सम्भावना प्रदान करती है तथा मानव के लिये एक आदर्श पर्यावरण प्रस्तुत करने की कोशिश करती है। मानव अपने वातावरण से ही सब कुछ प्राप्त करता है। प्रकृति का कार्य मानव के लिये सभी प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करना है। प्रकृति के स्वरूपों का अध्ययन ही हमें भौतिक भूगोल बताता है। अतएव भौतिक भूगोल की प्रकृति मानव को प्रयुक्त परिस्थितियों का ज्ञान प्रदान करता है।

भौतिक भूगोल का क्षेत्र (Scope of Physical Geography)

 भौतिक भूगोल का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। भौतिक भूगोल के अन्तर्गत पृथ्वी की समस्त भौतिक दशाओं का अध्ययन किया जाता है। इन भौतिक दशाओं में वे सभी भू-स्वरूप सम्मिलित हैं, जो पृथ्वी के विभिन्न भागों में विभिन्न रूपों में फैले हुए हैं। भौतिक भूगोल मानव के समस्त आर्थिक प्रारूपों का समन्वय व प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन करता है। भौतिक भूगोल विषय की सीमा असीमित है, क्योंकि स्थलमण्डल (Lithosphere), वायुमण्डल (Atmosphere) तथा जलमण्डल (Hydrosphere) में मिलने वाली समस्त भौतिक दशाओं का अध्ययन इस विषय के अन्तर्गत किया जाता है। जैवमण्डल (Biosphere) से लेकर ब्रह्माण्ड (Universe) तक की समस्त परिस्थितयों एवं उपलब्धियों का अध्ययन इसी भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। सामान्य रूप से भूगोल के क्षेत्र के अन्तर्गत निम्न का समावेश होता है

(1) स्थलमण्डल (Lithosphere) पृथ्वी पर मिलने वाली समस्त स्थलाकृतियाँ भौतिक भूगोल के क्षेत्र के अन्तर्गत आती हैं। इनमें पर्वत, पठार, घाटियाँ, मैदान, मरुस्थल, नदियाँ, जलप्रपात, हिमनद, डेल्टा, महाद्वीप द्वीप, महासागर, सागर, झीलें, ज्वालामुखी, भूमिगत जल स्रोत आदि भू-आकृतियाँ सम्मिलित है।

(2) वायुमण्डल (Atmosphere) वायुमण्डल में मिलने वाली समस्त दशायें भौतिक भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत आती हैं। इनमें वर्षा, आर्द्रता, ओला वर्षा, ओस, तापमान, वायुताप एवं वायुगति, बादलों के विभिन्न प्रकार, आकाशीय विद्युत प्रतारण (बिजली गिरना) आदि सम्मिलित हैं।

(3) जलमण्डल (Hydrosphere) जलमण्डल में विद्यमान समस्त इकाइयाँ भौतिक भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत आती हैं। इनमें सामुद्रिक धाराएँ, सामुद्रिक जल का खारीपन, सामुद्रिक -जन्तु, मूँगे की चट्टानें, समुद्रों के अन्दर मिलने वाले समस्त प्रकार के रत्न, जवाहरात, मोती, शंख, जीव-ज सीप आदि सम्मिलित हैं।

(4) जैवमण्डल (Biosphere) जैवमण्डल के अन्दर विद्यमान सभी प्रकार के जीवों का अध्ययन भौतिक भूगोल के क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। इसमें सभी प्रकार के जीव-जन्तु आदि सम्मिलित हैं।

(5) ब्रह्माण्ड (Universe) — ब्रह्माण्ड का अध्ययन भूगोल विषय का सर्वप्रथम क्षेत्र रहा है। प्राचीन काल में पृथ्वी और आकाश दोनों ही भूगोल विषय के क्षेत्र थे। इस विज्ञान को जो इनका अध्ययन करता था अथवा भूगोल का प्राचीन नाम खगोलशास्त्र (Astronomy) था। खगोलशास्त्र विषय के अध्ययन का मुख्य क्षेत्र ब्रह्माण्ड का अध्ययन था। बाद में यह ब्रह्माण्ड का अध्ययन भौतिक भूगोल के क्षेत्र में सम्मिलित कर दिया गया। इस ब्रह्माण्ड के अध्ययन के अन्तर्गत ब्रह्माण्ड में मिलने वाले समस्त ग्रह, उपग्रह, सूर्य, तारागण, पुच्छल तारे, ध्रुव तारा, आकाश गंगा आदि सम्मिलित हैं।

भौतिक भूगोल का अन्य भू-विज्ञानों से सम्बन्ध (Interrelation of Physical Geography with other branches of Earth Science)

भौतिक भूगोल का सम्बन्ध उन सभी भू-विज्ञानों से है, जो भौतिक इकाइयों का अध्ययन करती हैं। प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक वातावरण का अध्ययन करने वाले सभी विज्ञानों से भौतिक भूगोल का सम्बन्ध है। भौतिक भूगोल का सबसे अधिक एवं घनिष्ठ सम्बन्ध गणितीय भूगोल (Mathematical Geography), भू-मापन विज्ञान (Geodesy), भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology), सामुद्रिक विज्ञान (Oceanography), जलवायु विज्ञान (Climatology) एवं जैव विज्ञान (Biography) से है। गणित के अध्ययन से नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है। भू-मापन विज्ञान से समस्त प्रकार के सर्वे कार्य किये जाते हैं। पृथ्वी से सूर्य व अन्य ग्रहों की दूरी व गति भू-गणित के द्वारा ही निकाली जाती है। पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी कारणों का अध्ययन पर्यावरण भूगोल (Environmental Geography) के अन्तर्गत किया जाता है। जो मानव की भौतिक दशाओं को प्रभावित करता है। इस प्रकार पर्यावरण भूगोल का भौतिक भूगोल से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। यदि यह कहा जाय कि ये सभी भू-विज्ञान भौतिक भूगोल की शाखायें हैं तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पृथ्वी पर मिलने वाले सभी प्रकार के जीव-जन्तुओं का अध्ययन जैव-भूगोल में किया जाता है, जिनका विकास पृथ्वी की भौतिक दशाओं पर निर्भर है। स्थलमण्डल में मिलने वाली समस्त भू-आकृतियाँ, जो भू-आकृति विज्ञान के अन्तर्गत आती हैं, उनका अध्ययन भौतिक भूगोल करता है। अतएव भू-आकृति विज्ञान और भौतिक भूगोल का घनिष्ठ सम्बन्ध है।

इसी प्रकार जलवायु विज्ञान तथा सामुदिक विज्ञान का भी भौतिक भूगोल से घनिष्ठ सम्बन्ध है। ज्योतिषशास्त्र अथवा नक्षत्र-विज्ञान (Astronomy) का भी भौतिक भूगोल से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है, क्योंकि दोनों ही भू-विज्ञानों में ब्रह्माण्ड का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से हो भूतल के समस्त जीव-जन्तु, मानव एवं पेड़-पौधों को जीवन मिलता है। पवन से जीवन-संचार चलता है। वर्षा से पृथ्वी के समस्त जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों को जीवन मिलता है। इस प्रकार जलवायु विज्ञान के अन्तर्गत उस सभी विषय सामग्री का अध्ययन किया जाता है, जिसका भौतिक भूगोल में किया जाता है। अतएव यह स्पष्ट होता है कि ये सभी भू-विज्ञान भौतिक भूगोल के अंग अथवा शाखायें हैं।

 

 

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