GOSE - Environment
Unemployment, definition, causes, programs run by the Government
बेरोजगारी (Unemployment)
सामान्यतया, जब एक व्यक्ति को अपने जीवन निर्वाह के लिए कोई काम नहीं मिलता है तो उस व्यक्ति को बेरोजगार और इस समस्या को बेरोजगारी की समस्या कहते हैं। अर्थात जब कोई व्यक्ति कार्य करने का इच्छुक है, और वह शारीरिक तथा मानसिक रूप से समर्थ भी है, लेकिन उसको कोई कार्य नहीं मिलता, जिससे कि वह जीविका कमा सके तो इस प्रकार की समस्या बेरोजगारी की समस्या कहलाती है।
बेरोजगारी की परिभाषा ( Definition of unemployment )-
v फ्लोरेन्स के अनुसारः- “बेरोजगारी उन व्यक्तियों की निष्क्रियता के रूप परिभाषित की जा सकती है, जो कार्य करने के योग्य एवं इच्छुक हैं" ।
v भगवती समिति के अनुसार “बेरोजगारी की समस्या उस परिस्थिति का कहते हैं, जिसमें योग्य तथा कार्य करने क इच्छुक व्यक्ति बेकार रहते हैं।
बेरोजगारी के कारण (Because of unemployment) -
1. जनसंख्या वृद्धि(Population growth)
2. लघु एवं कुटीर उद्योगों का हास(Decline of small and cottage industries)
3. श्रम की गतिशीलता का अभाव(Lack of mobility of labor)
4. दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति(Faulty education system)
5. त्रुटिपूर्ण नियोजन(Erroneous planning)
6. महिलाओं द्वारा नौकरी(Jobs by women)
7. धीमा औद्योगिकीकरण(Slow industrialization)
8. अशिक्षित एवं अकुशल श्रम(Uneducated and unskilled labor)
9. प्रशिक्षण सुविधाओ का अभाव(Lack of training facilities)
1.जनसंख्या वृद्धि ( Population growth -
भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर 2.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। तीव्रगति से बढ़ती हुई जनसंख्या बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है। उस अनुपात में रोजगार के अवसरों में वृद्धि नहीं होती है। अतः दिनों दिन बेरोजगारी एक विकराल रूप धारण करती जा रही है।
(2) लघु एवं कुटीर उद्योगों का हास:( Decline of small and cottage industries)-
योजनाबद्ध आर्थिक विकास तथा बड़े-बड़े उद्योग की स्थापना से स्वचालित यन्त्रीकृत मशीनों को बढ़ावा मिला है। इन उद्योगों में श्रम गहन तकनीक का कम प्रयोग किया जाता है तथा इन उद्योगों द्वारा अच्छी किस्म की वस्तुएं कम लागत पर उत्पन्न की जाती हैं।(3) श्रम की गतिशीलता का अभाव:( Lack of mobility of
labor)-
रूढ़िवादिता तथा पारिवारिक मोह के कारण भारतीय श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव पाया जाता है। अगतिशीलता का दूसरा पहलू यह है कि श्रमिक भाषा, रीतिरिवाज और संस्कृति में भिन्नता, घर से दूरी की बाधा के कारण अन्य जगहों पर कार्य करने को इच्छुक नहीं होते हैं। अतः पूर्ण रोजगारप्राप्त करने में यह भी एक बाधा है।
(4) दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति ( Faulty education system)-
यहाँ की शिक्षा पद्धति व्यवसाय प्रधान या व्यवहारिक होने के बजाय सिद्धान्त प्रधान है। जिसके कारण बेरोजगारी दिनों-दिन बढती जा रही है।
(5) त्रुटिपूर्ण नियोजन :( Erroneous planning )-
स्वतंत्रता के उपरांत देश में आर्थिक नियोजन अपनाया गया। जिससे अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के साथ-साथ बेरोजगारी दूर की जा सके। लेकिन देश में आठ पंचवर्षीय योजनाएँ समाप्त हो चुकी है फिर भी बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण त्रुटिपूर्ण नियोजन व्यवस्था है।
(6) महिलाओं द्वारा नौकरी:( Jobs by women)-
स्वतंत्रता से पूर्व बहुत कम महिलाएँ नौकरी करती थी। लेकिन आज सभी क्षेत्रों में महिलाएँ नौकरी करने लगी हैं। जिससे पुरूषों में बेरोजगारी का अनुपात बढ़ा है।
(7) धीमा औद्योगिकीकरण:( Slow industrialization )-
भारत में औद्योगिकीकरण की गति, विकसित देशों की तुलना में बहुत धीमी रही है, विगत कुछ वर्षों में औद्योगिक विकास की दर औसत रूप से 5.6 प्रतिशत रही हैं इससे भी बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। क्योंकि रोजगार के अवसर कम हुए हैं।
(8) अशिक्षित एवं अकुशल श्रम:( uneducated and unskilled
labor)-
भारतीय श्रमिक अशिक्षित, अकुशल एवं अप्रशिक्षित होते हैं। जिसके कारण उन्हें रोजगार पाने में कठिनाई होती है और बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
(9) प्रशिक्षण सुविधाओ का अभाव:( Lack of training facilities)
भारत में नये-नये अनेक उद्योग धंधे स्थापित हो रहे हैं। लेकिन यहाँ की जनता में उसके कार्य को करने के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं का अभाव है। जिसके कारण अधिकांश जनसंख्या बेरोजगार हैं।
बेरोजगारी निवारण के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम:( Programs run by the government to reduce unemployment)-
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में रोजगार की समस्या को सदैव प्राथमिकता दी गई है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार भी चिंतित है। अतः बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम लागू किये गये हैं जो निम्नानुसार हैं:
बेरोजगारी निवारण हेतु सरकार द्वारा चिलाए जा रहे कार्यक्रमः
1. एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम(Integrated Rural Development Program)
2. ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम(Rural employment program)
3. नेहरू रोजगार योजना(Nehru Employment Scheme)
4. रोजगार कार्यालयों की स्थापना(Establishment of employment offices)
5. अन्त्योदय(Antyodaya)
6. बेरोजगारी भत्ता(Unemployment allowance)
7. अपंगों के लिए रोजगार(Employment for the disabled)
8. लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास(Development of small and cottage industries)
9. ऑपरेशन फ्लड(Operation flood)
10. शिक्षित बेरोजगारों हेतु कार्यक्रम(Program for educated unemployed)
11. अन्य उपाय(Other measures)
(1) एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम( Integrated Rural Development Program)-
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता दूर करने के लिए आरंभ किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आर्थिक समस्याएँ एवं चुनौतियों
कृषि श्रमिकों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों व अन्य गरीब व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम को पाँचवी योजना में आरंभ किया गया था । इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामों में कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, कुटीर एवं लघु उद्योग आदि का विस्तार किया जा रहा है।
(2) ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम :( Rural employment program )-
जिन क्षेत्रों में बेरोजगारी कीसमस्या जटिल है वहाँ पर ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक परिवार में से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाता है। मजदूरी का भुगतान नगद मुद्रा व वस्तु के रूप में दोनों प्रकार से किया जाता है। सूखा ग्रस्त क्षेत्र में इस कार्यक्रम का विशेष महत्व । इस कार्यक्रम के अंतर्गत सड़कें, नहरें, छोटे बांध, भवन निर्माण आदि कार्य किये जाते हैं।
(3) नेहरू रोजगार योजना ( Nehru Employment Scheme)-
यह योजना 28 अप्रैल 1989 को क्रियान्वित की गई है। इसे शहरी क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे निवास करने वाले लोगों के लिए चलाया गया है। इस योजना के तहत 30 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए सुरक्षित रहेंगे।
(4) रोजगार कार्यालयों की स्थापना(Establishment of employment offices )-
बेरोजगारी को दूर करने के लिए रोजगार कार्यालयों की स्थापना की गई है। जो बेरोजगारों के लिए हमेशा उचित मार्ग दर्शन देता है। सरकार द्वारा इस दिशा में व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने हेतु औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई है।
(5) अन्त्योदय( Antyodaya) -
इस कार्यक्रम के अंतर्गत गाँव में सबसे अधिक निर्धन परिवारों का चयन करके उसको दूध देने वाली पशु, भेड़, बकरी, बैलगाड़ी, ऊँटगाड़ी, बुनाई के लिए करघा, सिलाई मशीन आदि दी जाती है। ताकि रोजगार के साथ-साथ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ सकते हैं। यह कार्यक्रम दोहरे उद्देश्य की प्राप्ति करता है।
(6) बेरोजगारी भत्ता:( Unemployment allowance )-
विभिन्न राज्य की सरकारें अपने-अपने राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों को भत्ता दे रही है। जैसे:- पश्चिम बंगाल, पंजाब महाराष्ट्र, तामिलनाडु, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा आदि
(7) अपंगों के लिए रोजगार :( Employment for the
disabled)-
देश की बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए गए जिसमें अपंगों के लिए रोजगार कार्यक्रम योजना एक अहम भूमिका निभाती है। इस कार्यक्रम के द्वारा अक्षम एवं अपंग बेरोजगारों का जीवन स्तर ऊँचा उठा है।
(8) लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास :( Development of small and cottage industries )-
भारत सरकार ने गरीबी तथा बेरोजगारी को कम करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास के लिए विशेष प्रयत्न किये है। स्व-रोजगार योजना को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत अधिक धन व्यय किया जा रहा है।
(9) ऑपरेशन फ्लड( Operation flood)-
इस कार्यक्रम के अंतर्गत दुग्ध उत्पादन में वृद्धि साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं आय के स्त्रोत भी पैदा होते हैं। गरीब परिवारों को निर्धनता से ऊपर उठाने के लिए, पशु क्रय करने के लिए एवं चारे की व्यवस्था करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
(10) शिक्षित बेरोजगारों हेतु कार्यक्रम(Program for educated unemployed )-
कार्यक्रम को 1973-74 में आरंभ किया गया था तथा सभी योजनाओं में इस कार्यक्रम को चालू रखा गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षित युवकों के लिए स्वरोजगार हेतु अनेक प्रकार के सहयोग प्रदान किये जाते हैं।
(11) अन्य उपाय( Other measures )-
शिक्षित बेरोजगारी को कम करने के लिए केन्द्र सरकार उद्योग लगाने हेतु सहायता, स्वरोजगार व साहसी चातुर्य को बढ़ावा, दुर्लभ रास्तों, पहाड़ों पर, बस चलाने की सहायता, ग्रामीण युवकों के स्वरोजगार हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
उपरोक्त तथ्यों को सुनियोजित ढंग से संचालित करके भारत में व्याप्त बेरोजगारी की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। जिससे देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से हो सकेगा।
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