Second World War | कारण । घटनाए । प्रभाव । परिणाम ।

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Second World War | कारण । घटनाए । प्रभाव । परिणाम ।

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Second World War 

Second World War


1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ • और 14 अगस्त 1945 को इसका अंत हुआ। इतना व्यापक युद्ध विश्व के इतिहास में आज तक नहीं लड़ा गया था। इस युद्ध के परिणाम अत्यंत भयंकर और महत्वपूर्ण हुए ।

द्वितीय  विश्व के कारण 

द्वितीय विश्व युद्ध (सितम्बर 1939.ई -14 अगस्त 1945.ई.)   

  • v वर्साय की संधि (Treaty of Versailles)
  • v नाजीदल का उदय (Rrise of nazidal)
  • v फासीवाद का उदय (Rise of fascism)
  • v राष्ट्रसंघ की असफलता (Failure of the League of Nations)
  • v उग्र राष्ट्रवाद की भावना (Feeling of radical nationalism)
  • v तुष्टीकरण की नीति (Policy of appeasement)
  • v सैनिक गुटो का उदय (Rise of military groups)
  • v आर्थिक मन्दी (Economic downturn)
  • v निःशक्तीकरण की समस्या (Problem of disability)
  • v तत्कालिक कारण (Immediate cause)


1.   वसार्य की संधि (Treaty of Versailles)-

वर्साय की संधि द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण था। वर्साय की संधि में मित्र राष्ट्रों ने जर्मनीआस्ट्रियाइटली और टर्की के मानो हाथ पैर तोड़ कर रख दिया अर्थात पंगु बना दिया। इसमें विशेषकर जर्मनी को अपमानित किया गया। अल्सास और लॉरेन का प्रान्त वापस फ्रांस को दे दिया गया। जर्मनी को युद्ध अपराधी घोषित किया गया। सैनिक शक्ति दुर्बल कर दिया गया। जर्मनी पर आर्थिक बोझ डाला गया। अतः जर्मनी के लोग इस अपमान का बदला लेना चाहते थे।

 नाजीदल का उदय: (Rrise of nazidal)-

1934 में नाजीदल का प्रभाव बढ गया और हिटलर जर्मनी का तानाशाह बन गया। वह जर्मन कौम का विश्व का महान शक्ति बनाना चाहता था। उसने संधियों की ध ज्जियाँ उड़ा दी। युद्ध नीति के सहारे आस्ट्रिया सुदेतलैंड और चैकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया। यह युद्ध नीति महायुद्ध का कारण बनी।

     फासीवाद का उदय  (Rise of fascism )-

इटली में भी वर्साय की संधि से घोर असन्तुष्टी थी । परिणाम स्वरूप फांसीवाद का जन्म हुआ। मुसोलिनी ने हिटलर की भांति इटली में सैनिक सरकार की स्थापना की। इटली एबीसीनिया तथा अल्बानिया पर अधिकार कर लिया। उसकी युद्ध नीति ने की।

v राष्ट्रसंघ असफलता (Failure of the League of Nations) -

प्रथम महायुद्ध के पश्चात युद्धों को रोकने तथा विश्व में शान्ति बनाए रखने के लिए राष्ट्र की स्थापना गईपरन्तु यह संस्था असफल रहीं जब इटली ने अबीसीनिया जर्मनी आस्ट्रिया तथा चेकोस्लोवाकिया और जापान ने मंचूरिया पर अधिकार कर लिया तो राष्ट्रसंघ उनके बढ़ते कदमों कर सका।

v उग्र राष्ट्रवाद की भावना: (Feeling of radical nationalism) -

जर्मनी में हिटलर फ्रांस से बदला लेने की योजनाएं बनाने लगा। पर अधिकार कर. लिया था। हिटलर ने नाजियों में उग्र राष्ट्र की भावना कूट-कूट कर भर दी। हम और हमारा जर्मन राष्ट्रफ्रांस से बदला लेना चाहता था। था।

v  तुष्टीकरण की नीति (Policy of appeasement) -

तुष्टीकरण का तात्पर्य है किसी आक्रमण शक्ति को मानने के लिए किसी देश की बलि दे देना। 1917 की रूसी राष्ट्रों का साम्यवाद की ओर झुकाव से साम्यवाद मानने लगी। जर्मनीइटलीजापान आदि देश साम्यवाद के कट्टर विरोधी थे। ने इटली से मित्रता साम्यवाद के विरूद्ध मोर्चा बना तो फ्रांस इंग्लैण्ड उसके प्रति उदार नीति अपनाई। इसी नीति को तुष्टीकरण की नीति कहा जाता है।

v सैनिक गुटों का उदय (Rise of military groups) -  

प्रथम महायुद्ध की भांति द्वितीय महायुद्ध से पहले यूरोप दो विरोधी सैनिक गुटों में बँट गया था। हिटलर ने अपनी स्थिति दृढ़ करने के लिए गुटबन्दी का सहारा लिया और इटली के तानाशाह मुसोलिनी को अपनी ओर मिला लिया। 1936 ई. में इनके बीच एक संधि हुई जो रोम-बर्लिन-धुरी के नाम से प्रसिद्ध है। दूसरी ओर रूस और जापान की भी आपस में खट-पट थी। 

जर्मनी रूस का शत्रु था। अतः 25 नवंबर 1936 ई. को जर्मनी और जापान में रूस के विरूद्ध एक समझौता हुआ। 1937 ई. में इटली भी इसमें शामिल हो गया। रोम-बर्लिन-टोकिया धुरी पूर्ण हुई। एक गुट में धुरी राष्ट्र थे और दूसरे में इंग्लैंडरूस और फ्रांस थे। सभी देश सुरक्षा की आड़ में जबरदस्त सैनिक तैयारियाँ कर रहे थे।

आर्थिक मंदी (Economic downturn)-

सम्पूर्ण विश्व में 1929-30 में घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। इससे एक नई स्थिति उत्पन्न हो गयी। सभी देशों में बेकारी बढ़ गई और साधारण जनता की स्थिति शोचनीय हो गयी। 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण करके उसके कई नगरों पर अधिकार कर लिया। इससे विश्व में युद्ध का वातावरण पैदा हो गया।

निःशस्त्रीकरण की समस्या: (Problem of disability)-

वर्साय की संधि के अनुसार सभी राष्ट्र निःशस्त्रीकरण की नीति का पालन करेंगेपरन्तु विजयी राष्ट्रों ने जर्मनी से तो निःशस्त्रीकरण की शर्तों का पालन करवाया

v 10. तात्कालिक कारण (Immediate cause)-

  हिटलर द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण द्वितीय महायुद्ध का तात्कालिक कारण था। हिटलर बाल्टिक सागर तक पहुँचने के लिए मार्ग चाहता था। उसने पोलैण्ड से माँग की कि डैजिंग की बन्दरगाह तथा वहाँ तक पहुँचने के लिए जर्मनी को मार्ग दे परन्तु 'पोलैण्ड'' की सरकार ने फ्रांस से सहायता का आश्वासन पाकर हिटलर की माँग को ठुकरा दिया । हिटलर ने 1 सितंबर 1939 को जर्मनी सेनाएँ पोलैण्ड में घुसा दी। सितंबर को ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। इस तरह पोलैण्ड पर हमले के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ। पोलैण्ड को कोई सहायता नहीं मिली । अतः तीन

 द्वितीय प्रमुख परिणाम  (Major results following) -

     ·       धन जन की हानि( (Loss of money)
·       औपनिवेशक साम्राज्यों का अंत(End of colonial empires)
·       इंग्लैण्ड की शक्ति का ह्रास (Decline of england's power)
·       सोवियत रूस की शक्ति में वृद्धि (Soviet Russia's rise to power)
·       अमेरिका के प्रभुत्व में वृद्धि (Rise in US dominance)
·       साम्यवाद का प्रसार(Spread of communism)
·       विश्व का दो गुटों में विभक्त होना(Splitting of the world)
·       संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन(The formation of the United Nations)
·       जर्मनी का विघटन(Disintegration of germany)
·       नये हथियारों का अन्वेषण तथा परमाणु बम का अविष्कार(Discovery of new weapons and invention of atomic bomb)


1.धनजन की हानि (Loss of money) -

द्वितीय विश्व युद्ध में धन जन का कितना भीषण विनाश हुआ। इसका ठीक-ठीक अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है। लगभग एक लाख करोड़ रूपए से अधिक युद्ध व्यय करना पड़ा। सबसे भयानक क्षति रूस की हुई। ब्रिटेन में लगभग दो हजार करोड़ रूपए के मूल्य की सम्पत्ति का विनाश हुआ। 

जर्मनी, फ्रांस, पोलैण्ड इत्यादि देशों की राष्ट्रीय सम्पत्ति के विनाश का कोई अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता। दोनों पक्षों के पांच करोड़ से अधिक लोग मारे गए। अनेक देशों के आर्थिक एवं भौतिक संसाधनों की भी भारी क्षति हुई। कई प्राचीन नगर पूरी तरह बर्बाद हो गए।

(2) औपनिवेशिक सम्राज्यों का अंतः(End of colonial empires)-

द्वितीय विश्व युद्ध ने यूरोपीय राष्टों को इतना शक्तिहीन बना दिया कि वे अपने उपनिवेशों को संभालने में असमर्थ हो गये। अतएव उन्हें उपनिवेशों को छोड़ना पड़ा। फलतः इस युद्ध के बाद भारत बर्मा, इण्डोनेशिया, मलाया आदि देश स्वतंत्र हो गये।

(3) इंग्लैण्ड की शक्ति ह्यसः(Decline of england's power)-

इंग्लैण्ड के संदर्भ में कहा जाता था कि इसका सूर्य कभी भी अस्त नहीं होता। इंग्लैण्ड विश्व की बड़ी शक्ति में गिना जाता था इस युद्ध के बाद उसकी शक्ति में ह्रास हुआ और उसे एक-एक कर अपने सभी उपनिवेशों को मुक्त करना पड़ा।

(4) सोवियत रूस की शक्ति में वृद्धि:( Soviet Russia's rise to power)-

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत रूस की शक्ति में काफी वृद्धि हुई। विश्व के दूसरे शक्तिशाली राष्ट्र में उसकी गिनती होने लगी।

(5) अमेरिका के प्रभुत्व में वृद्धि: (Rise in US dominance)-

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका की शक्ति काफी बढ़ गई। यह विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन गया।

(6) साम्यवाद का प्रसार(Spread of communism)-

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद साम्यवाद का पर्याप्त प्रसार हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद संसार में केवल सोवियत रूस में ही साम्यवादी व्यवस्था थी, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूर्ती यूरोप के अनेक देशों तथा चीन, उत्तर कोरिया आदि एशियाई देशों में भी साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध का यह एक महत्वपूर्ण परिणाम सिद्ध हुआ

(7) विश्व का दो गुटो में विभक्त होना:( Splitting of the world)-

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रूस में प्रभाव-वृद्धि की होड़ चल पड़ी और संसार के देश दो गुटों में विभाजित हो गए। पूर्वी यूरोप, चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया रूस की कम्युनिस्ट विचारधार से प्रभावित होकर रूस के प्रभाव क्षेत्र में आ गए।

दूसरी ओर पश्चिमी यूरोप तथा एशिया के कुछ देश अमेरिका के प्रभाव क्षेत्र में आ गए। संसार दो विरोधी विचारधाराओं (साम्यवादी एवं पूँजीवादी) में विभाजित हो गया। साम्यवादी गुट का नेता रूस बना और पूँजीवादी गुट का अमेरिका इसके बाद रूस और अमेरिका में शीत युद्ध आरंभ। हो गया। इधर सोवियत रूस के विघटन के। बाद शीतयुद्ध का युग समाप्त हो गया।

(8) संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन(The formation of the United Nations)-

द्वितीय विश्वयुद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया कि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किसी ऐसी सस्था का संगठन जरूरी है जो पूर्ववर्ती राष्ट्रसंघ से अधिक शक्तिशाली हो तथा जो विश्व में शांति कायम रख सके। संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना इसी उद्देश्य से 1945 में हुई।

(9) जर्मनी का विघटन:( Disintegration of germany)-

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी को दो भागों में बाँट दिया गयापश्चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी । पश्चिमी जर्मनी इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा फ्रांस के संरक्षण में और पूर्वी जर्मनी रूस के संरक्षण में रहे।

(10) नए हथियारों का अन्वेषण तथा  परमाणु बम का अविष्कार:( Discovery of new weapons and invention of atomic bomb)-

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अनेक नए हथियारों का इस्तेमाल हुआ। संयुक्त राज्य अमेरिका ने सबसे पहले परमाणु बम का अविष्कार इस युद्ध के दौरान ही किया। युद्ध की समाप्ति के बाद आणविक हथियार के निर्माण के लिए होड़ मच गई और कुछ ही वर्षों में कुछ अन्य देशों ने भी आणविक हथियार विकसित कर लिए। इसके अतिरिक्त अन्य नाभिकीय अस्त्रों का भी विकास हुआ। पर गिराए गए परमाणु बमों से हजारों गुना अस्त्र, जापान अधिक शक्तिशाली है। 


अगर दुर्भाग्यवश कभी इनका उपयोग किया गया तो सम्पूर्ण विश्व ही नष्ट हो जाएगा। इस तरह द्वितीय विश्वयुद्ध ने भविष्य में और भी भयंकर युद्ध की संभावनाएं पैदा कर दी है।


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