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Natural vegetation


प्राकृतिक वनस्पति


प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation) -

प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार में बदलाव का मुख्य कारण जलवायु का बदलाव है। विश्व की विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियोंउनके गुण एवं वहाँ प्रवास करने वाले वन्य जीवों की जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।

    प्राकृतिक वनस्पति को निम्न तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया हैं-

    ( Natural vegetation is classified into the following three main categories-)

    (क) वन :- जो वृक्षों के लिए उपयुक्त तापमान एवं परिपूर्ण वर्षा वाले क्षेत्रों में उगते हैं। इन कारकों के आधार पर सघन एवं खुले वन विकसित होते हैं।

    (ख) घासस्थल :- जो मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र में विकसित होते हैं।

    (ग) काँटेदार झाड़ियाँ :- काँटेदार झाड़ एवं झाड़ियाँ केवल शुष्क क्षेत्रों में पैदा होते हैं।


    (क ) वन (forest) -

     उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन (tropical evergreen forest)

    इन वनों को उष्णकटिबंधीय वर्षा वन भी कहते । ये घने वन भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है।  यहाँ का मौसम कभी शुष्क नहीं होता, इसलिए यहाँ के पेड़ों की पत्तियाँ पूरी तरह नहीं झड़ती। इसलिए इन्हें सदावहार कहते हैं। काफी घने वृक्षों की मोटी वितान के कारण दिन के समय भी सूर्य का प्रकाश वन के अंदर तक नहीं पहुँच पाता है। आमतौर पर यहाँ दृढ़ काष्ठ वृक्ष जैसे - रोजवुड, आबनूस, महोगनी आदि पाए जाते हैं।

    उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical deciduous forest) -

    उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मानसूनी वन होते हैं जो भारत, उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं मध्य अमेरिका के बड़े हिस्सों में पाए जाते हैं इन क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होते रहते हैं। जल संरक्षित रखने के लिए शुष्क मौसम में यहाँ के वृक्ष पत्तियाँ झाड़ देते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले दृढ़ काष्ठ वृक्षों में सा, सागवान, नीम तथा शीशम हैं। दृढ़ काष्ठ वृक्ष, फर्नीचर, यातायात एवं निर्माण सामग्री बनाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इन प्रदेशों में आमतौर पर पाए जाने वाले जानवर हैं- बाघ, शेर, हाथी, गोल्डन लंगूर एवं बंदर आदि

    शीतोष्ण सदाबहार वन (temperate evergreen forest)

    शीतोष्ण सदाबहार वन मध्य अक्षांश के तटीय प्रदेशों में स्थित हैं ये सामान्यतः महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर पाए जाते हैं-जैसे दक्षिण-पूर्व अमेरिका, दक्षिण चीन एवं दक्षिण-पूर्वी ब्राजील। यहाँ बांज, चीड़ एवं यूकेलिप्टस जैसे दृढ़ एवं मुलायम दोनों प्रकार के पेड़ पाए जाते हैं

    शीतोष्ण पर्णपाती वन ( temperate deciduous forest )

    उच्च अक्षाश की ओर बढ़ने पर अधिक शीतोष्ण पर्णपाती वन मिलते हैं ये उत्तर-पूर्वी अमेरिका, चीन, न्यूज़ीलैंड, चिली एवं पश्चिमी यूरोप के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं। ये अपनी पत्तियाँ शुष्क मौसम में झाड़ देते हैं। यहाँ पाए जाने वाले पेड़ हैं-बांज, ऐश, बीच, आदि। हिरण, लोमड़ी, भेड़िये, यहाँ के आम जानवर हैं। फ़ीजेंट तथा मोनाल जैसे पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं।

    भूमध्यसागरीय वनस्पति  (Mediterranean flora)-

    भूमध्यसागरीय वनस्पति ये महाद्वीपों के पूर्व एवं उत्तर-पूर्वी किनारों के अधिकांश भाग शीतोष्ण सदाबहार एवं पर्णपाती पेड़ों से ढँके हैं। महाद्वीपों के पश्चिमी एवं दक्षिण-पश्चिमी किनारे भिन्न हैं। यहाँ भूमध्यसागरीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं यह अधिकतर यूरोप, अफ्रीका एवं एशिया के भूमध्यसागर के समीप वाले प्रदेशों में पाई जाती हैं। इसलिए इसका यह नाम पड़ा। 

    ये वनस्पतियाँ भूमध्यसागर के बाहरी प्रदेशों जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका के केलिफोर्निया, दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका एवं दक्षिण-पश्चिमी आस्ट्रेलिया में भी पाई जाती हैं।

    इन प्रदेशों में गर्म शुष्क ग्रीष्म एवं वर्षा वाली मृदु  शीत ऋतुएँ होती हैं। इन क्षेत्रों में आमतौर पर संतरा, अंजीर, जैतून एवं अंगूर जैसे - निंबु-वंश (मिट्स) के फल पैदा किए जाते हैं, क्योंकि लोगों ने अपनी इच्छानुसार । कृषि करने के लिए यहाँ की प्राकृतिक वनस्पति को हटा दिया है। यहाँ वन्य जीवन कम है।

    शंकुधारी वन  9coniferous forest )

    उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50°-70°) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते इन्हें 'टैगा' भी कहते हैं। ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। इन्हीं वृक्षों को सलीमा ने हिमालय में प्रचुर मात्रा में देखा था। ये लंबे, नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं। 

    इन वृक्षों के काष्ठ का उपयोग लुगदी बनाने के लिए किया जाता है, जो सामान्य तथा अखबारी कागज बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। चीड़, देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं। यहाँ सामान्यतः रजत लोमड़ी, मिंक ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाए जाते हैं।

    (ख)घासस्थल Grassland-

    उष्णकटिबंधीय घासस्थल  tropical grasslands

    ये वन भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं और भूमध्य रेखा के दोनों ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है। यह घास काफ़ी ऊँची लगभग 3 से न मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकती है। अकीका का सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है। सामान्य रूप से उष्णकटिबंधीय वासस्थल में हाथी, जेबरा, जिराफ़, हिरण, तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं

    शीतोष्ण घासस्थल temperate grasslands :-

    ये मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों और महाद्वीपों के भीतरी भागों में पाए जाते हैं। यहाँ की घास आमतौर पर छोटी एवं पौष्टिक होती है। शीतोष्ण प्रदेशों में सामान्यतः जंगली भैंस, बाइसन, एंटीलोप पाए जाते हैं।

    (ग) कंटीली झाड़ियाँ thorn bushes-

    कटिली झड़िया शुष्क रेगिस्तान जैसे प्रदेशों में पाई जाती है। उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान, महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर पाए जाते हैं। तीव्र गर्मी एवं बहुत कम वर्षा के कारण यहाँ वनस्पतियों की कमी रहती है । यहाँ केवल काई. लाइकेन एवं छोटी झाड़ियाँ पाई जाती हैं। ये अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु के दौरान विकसित होती हैं। इसे हुंडा प्रकार की वनस्पति कहा जाता है। 

    ये वनस्पतियाँ यूरोप, एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती हैं। यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फर एवं मोटी चमड़ी होती है, जो उन्हें ठंडी जलवायु में सुरक्षित रखते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं- सील, वालरस, कस्तूरी-बैल, ध्रुवीय उल्लू, ध्रुवीय भालू और बर्फीली लोमड़ी


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