मेरू रज्जू (Spinal Cord)मेरू रज्ज की अनुप्रस्थ काट/मेरूरज्जू के कार्य

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मेरू रज्जू (Spinal Cord)मेरू रज्ज की अनुप्रस्थ काट/मेरूरज्जू के कार्य

 


मेरू रज्जू (Spinal Cord)

मेरूरज्जू को रीढ़ रज्जू भी कहते हैं। मस्तिष्क का पश्च भाग मेड्यूला ऑब्लांगेटा करोटि (skull) के फोरामन मैगनम (महारध्र) से निकलने के पश्चात् रीढ़ रज्जू कहलाती है। कशेरुकाओं के बीच स्थित तंत्रकीय नाल में एक मुलायम डोरी के रुप में कशेरुक दण्ड के अंतिम सिरे तक फैला रहता है।

मेरू रज्ज की अनुप्रस्थ काट

इसकी अनुप्रस्थ काट में दो भागों में बँटा हुआ स्तर होता है बाहरी भाग भी श्वेत पदार्थ (White matter) तथा आन्तरिक भाग को धूसर पदार्थ (grey matter) कहते हैं। मेरू रज्जू के मध्य में एक केन्द्रीय नाल पाई जाती है, इसके ऊपर एक गड्ढेनुमा संरचना होती है जिसे पृष्ठ विदर (dorsal fissure) कहते है, इसी प्रकार नीचे की ओर पाई जाने वाली संरचना को अधर विदर (ventral fissure) कहते है। इसके कारण मेरू रज्जू दो भागों में बँट जाता है।

मेरुरज्जू के चारों ओर तीन स्तर पाए जाते हैं

1) ड्यूरामेटर 

2) पायामेटर

3) अरेक्नाइड

मध्य मे एक द्रव्य भरा होता है, इसे सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य कहते हैं यह मेरूरज्जू की रक्षा करता है।

मेरूरज्जू के कार्य

1. मेरूरज्जू प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण करता है।

2. तंत्रिकाओं और मस्तिष्क के बीच संबंध स्थापित करता है।

3. अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करता है।

4. यह मस्तिष्क से आने वाले उद्दीपनों का संवहन करता है।

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