पौधे में लैंगिक
जनन (Sexual
Reproduction in Plant)
पुष्प पौधे का जनन अंग है। यह चार भागों का बना होता है- बाह्यदल (Calyx), दल (Corolla), पुमंग (Androecium), और जायांग (Gynoecium) | ये चारों भाग डिस्क के समान रचना पर लगे रहते हैं. जिसे पुष्पासन (Thalamus) कहते हैं। पुमंग और जायांग क्रमशः नर तथा मादा जनन भाग हैं। जबकि बाहादल और दल पुज सहायक भाग हैं। बाह्य दल प्राय हरे रंग के तथा दलपुंज रंगीन रहते हैं।
नर जनन भाग
पुमंग के एक भाग को पुंकेसर (stamen) कहते हैं। प्रत्येक पुकेसर के तीन भाग होते हैं। परागकोष, योजी, पुतन्तु पुंकेसर के सिरे पर पराग-कोष होते हैं जिनमें परागकण बनते हैं। परागकण अत्यंत सूक्ष्म होते हैं. और नर युग्मक का निर्माण करते हैं।
पराग कण
ये एक कोशकीय तथा अगुणित होते है, प्रत्येक परागकण दो आवरणों से घिरा होता है- बाहरी आवरण बाह्यचोल (Exine) यह मोटा होता है तथा कुछ जगह पतला होकर जनन छिद्र बनाता है। आंतरिक आवरण-अंत चोल (Intine)- निषेचन के समय यह पराग नली बनाता है।
मादा जनन भाग
मादा जनन अंग (जायांग) के एक भाग को स्त्री
केसर कहते हैं। प्रत्येक स्त्रीकेसर (pistil or carpel) में तीन भाग होते हैं- अंडाशय वर्तिका और
वर्तिकाग्र ।
अंडाशय में
बीजाण्ड (ovule) होते हैं। इन बीजाण्ड में ही मादा युग्मक या अंड
(egg) होता हैं।
परागण (Pollination)
परागकोष से परागकणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचने की घटना परागण कहलाती हैं। यह दो प्रकार का होता है।
1. स्वपरागण (Self-Pollination)
जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाय तक पहुंचते
हैं या उसी पौधे के दूसरे पुष्प की वर्तिका पर पहुंचते हैं तब उसे स्वपरागण कहते
हैं।
2. परपरागण (Cross-Pollination)
जब एक पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पौधे के पुष्प की वर्तिकाय तक पहुंचते हैं तब उसे परपरागण कहते हैं।
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