मनुष्य के नर जनन अंग/मनुष्य का नर जनन तंत्र अंगों

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मनुष्य के नर जनन अंग/मनुष्य का नर जनन तंत्र अंगों

 


 मनुष्य के नर जनन अंग

मानव में जनन अंग पुरुष में 13-14 वर्ष तथा स्त्री में 11-13 वर्ष की उम्र में क्रियाशील हो जाते हैं। इन अंगों से हार्मोन स्रावित होते हैं। जिससे शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं जिसे द्वितीयक लैंगिक लक्षण कहते हैं- जैसे-लड़कों में दाढ़ी, मूँछ निकलना, आवाज भारी होना, लड़कियों में आवाज पतली होना शरीर में परिवर्तन होना, लड़कियों में आवाज पतली होना, शरीर

     मनुष्य का नर जनन तंत्र अंगों 

    1. एक जोड़ी वृषण एवं वृषण कोष- इसमें शुक्राणु का निर्माण होता है।

    2. शुक्रवाहिका- शुक्रवाहिकाएँ शुक्राणुओं को शुक्राशय में लाती है।

    3. शुक्राशय- थैली के समान रचना वाले शुक्राशय प्रोस्टेट ग्रंथि के ऊपर स्थित होते है। इनकी आंतरिक दीवार एक चिपचिपा पदार्थ स्रावित करती है जो शुक्राणुओं का पोषण करता है।

    4. मूत्रमार्ग- यह मूत्र त्याग तथा वीर्य स्खलन दोनों कार्य करता है।

    5. शिश्न- यह नर का बाह्य जनन अंग है। यह विशेष प्रकार की मौसपेशियों का बना होड इसके बीच ही     मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) स्थित होता है। शुक्राणु शिश्न द्वारा ही मादा जननांग में छोड़े जाते हैं।

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