सभी जीवों की तरह हरे पौधों को भी भोजन की आवश्यकता होती है। पौधे खनिज
पदार्थों व पानी का अवशोषण मिट्टी से करते हैं। कार्बनिक पदार्थों को पौधे स्वयं
बनाते है। इस क्रिया में (CO2)
कार्बनडाइआक्साइड, पानी (H2O), क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। पौधों
द्वारा भोजन बनाने की इस क्रिया को 'प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं। इस
क्रिया में ऑक्सीजन (O2) गैस निकलती है।
वास्तव में वायुमंडल में CO2, व O2 के अनुपात को बनाये रखने के लिये इसी क्रिया का योगदान है। पौधों द्वारा जीवन के लिये आवश्यक सभी कार्बनिक अणुओं को बनाया जाता है अन्य सभी जीव प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपना भोजन पौधों से या पौधों पर निर्भर अन्य जीवों से प्राप्त करते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया जैव भोजन श्रृंखला की मौलिक कडी है, हम जितनी भी ऊर्जा का उपयोग करते हैं वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सौर ऊर्जा ही है। हमें सौर ऊर्जा हरे पौधों द्वारा रासायनिक ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है।
प्रकाश संश्लेषण परिभाषा
प्रकाश संश्लेषण एक जीव रासायनिक क्रिया है
जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश एवं पर्णहरिम (Chlorophyll) की उपस्थिति में जल और कार्बनडाइआक्साइड की सहायता से
कार्बोहाइड्रेट जैसे सरल कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं "और
आक्सीजन गैस मुक्त करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के चार पदार्थों
1. कार्बन डाइआक्साइड
2. जल
3. क्लोरोफिल
4. सूर्य का प्रकाश
(1) कार्बनडाइआक्साइड (CO2)
सभी जीव श्वसन क्रिया करते हैं और CO2, छोड़ते है। इसी कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग हरे पौधे करते हैं। स्थलीय पौधे वायुमंडल से व जलीय पौधे पानी में घुली हुई CO2, लेते हैं। सायंकाल के समय प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती हैं उस समय श्वसन में बनने वाली CO2, की मात्रा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिये पर्याप्त होती है। वह अवस्था जिसमें पौधे CO2, को ग्रहण नही करते परंतु प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हो रही होती है "संतुलन - प्रकाश तीव्रता" कहलाती है।
(2) जल (H2O)
आपने देखा होगा जब पौधों को पानी नही मिलता हो उनकी पत्तियां मुरझा जाती है
जिससे सिद्ध होता है कि पौधों के लिये पानी आवश्यक है। पौधे अपनी जड़ों द्वारा
पानी के साथ साथ खनिज लवणों का भी अवशोषण करते हैं। खनिज लवण भी प्रकाश संश्लेषण
में अपना योगदान देते हैं।
(3) क्लोरोफिल
पौधो की पत्तियों का रंग हरा होता है। यह उनमें उपस्थित हरित लवक के कारण होता है। इन लवकों में चार प्रकार के वर्णक पाये जाते हैं- क्लोरोफिल A, क्लोरोफिल B जो हरे रंग के होते है। कैरोटीन लाल तथा जन्थोफिल संतरा रंग के होते हैं। क्लोरोफिल A तथा B सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करके उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
(4) प्रकाश (Light)
प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रकाश एक महत्वपूर्ण व आवश्यक तत्व है। यह क्रिया प्रकाश की तीव्रता की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि प्रकाश अधिक हो तो प्रकाश संश्लेषण की दर भी अधिक होती हैं। इस क्रिया की दर प्रकाश के लाल रंग में सबसे अधिक तथा बैगनी रंग में सबसे कम होती हैं।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के प्रमुख पद
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधों के हरे भाग में होती हैं। पौधों में मुख्यतःपत्तियां ही इस कार्य को करती हैं।पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे रंध्र पाये जाते हैं जिन्हें रन्ध (Stomata) कहते हैं। इनके द्वारा वायुमंडल से CO2 व O2 का अदान-प्रदान होते रहता है ये छिद्र दिन में खुले रहते हैं तथा रात में बंद हो जाते हैं। पत्तियों में विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जिन्हें खंभ (Palisad cell) कोशिकाएं कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया इन्हीं कोशिकाओं में होती है। प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोप्लास्ट (हरित लवक) पाये जाते हैं। हरित लवक में कुछ झिल्लियों के ढेर पाये जाते हैं जिन्हें ग्रैना (Granna) कहते है।
"ग्रेना" एक दूसरे से जुडे रहते हैं। प्रकाश ऊर्जा को शोषित करने के लिए इनमें क्लोरोफिल तथा अन्य प्रकाश संश्लेषी वर्णक पाए जाते है हरित लवक के आधारी पदार्थ को मेट्रिक्स (Matrix ) कहते हैं। जड़ों द्वारा अवशोषित जल पत्तियों में पहुंचता है जो परासरण द्वारा कोशिकाओं में पहुंच जाता हैं इन कोशिकाओं में उपस्थित क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करके पानी के अणु का अपघटन करता हैं। स्टोमेटा के खुल जाने से CO2, विसरण द्वारा वायुमंडल से कोशिकाओं में पहुंच जाती हैं। पानी के अपघटन से बनने वाली हाइड्रोजन स्टोमेटा से विसरित कार्बनडाइऑक्साइड को क्लोरो प्लास्ट, ऊर्जा तथा कुछ एन्जाइमों की सहायता से शर्करा बना देते हैं।
आक्सीजन स्टोमेटा से वायुमंडल में चली जाती है। यह शर्करा पौधों के विभिन्न भागों में पहुंच जाती हैं और वहां इसका उपापचय तथा संचयन हो जाता है। प्रकाश संश्लेषण में दो अलग-अलग क्रियाएँ होती हैं। एक क्रिया पूर्णतः प्रकाश पर निर्भर होती हैं। जिसे प्रकाशीय प्रक्रया (Light reaction) कहते हैं तथा दूसरी प्रक्रिया के लिये प्रकाश की आवश्यता नही होती है जिसे अप्रकाशीय प्रक्रिया (Dark reaction) कहते हैं।
1.प्रकाश अभिक्रिया (Light Reaction)
इस प्रक्रिया में प्रकाश की आवश्यकता होती है तथा इसकी खोज हिल नामक वैज्ञानिक ने 1937 में किया इसी कारण इसे हिल अभिक्रिया भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में क्लोरोप्लास्ट प्रकाश ग्रहण करके उत्तेजित हो जाते हैं और पानी के अणु को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में विघटित कर देता है। ऑक्सीजन गैस बाहर निकल जाती हैं तथा हाइड्रोजन NADP (निकोटिनेमाइड एडिनीन डाइन्यूक्लियोटाइड फास्फेट) नामक पदार्थ का अपचयन कर NADPH में परिवर्तित कर देती है। इस क्रिया में ADP तथा अकार्बनिक फास्फेट के मिलने से ATP बनता है। इस क्रिया में बनने वाले ये उत्पाद अप्रकाशीय प्रक्रिया में CO2, से कार्बोहाइड्रेट बनने में उपयोगी होती है।
2.अप्रकाशीय प्रक्रिया (Dark Reaction)
होती हैं तथा इसकी खोज केल्बिन तथा बैनसन ने की थी इसलिये इसे कैल्विन बैनसनचक्र कहते हैं। इस प्रक्रिया में प्रकाश की आवश्यता नही प्रकाशीय क्रिया में बनने वाले NADPH तथा ATP का उपयोग CO2, से कार्बोहाइड्रेट बनने में होता हैं चूंकि यह क्रिया अन्धकार में होती जिसके फलस्वरुप कार्बन डाइऑक्साइड स्थिरीकरण रिब्यूलोज डाइफास्फोट नामक पदार्थ के साथ आरंभ होता है और अन्त में जटिल कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता हैं प्रकाश की आवश्यकता नहीं पड़ने के कारण ही इस अभिक्रिया को अप्रकाशीय प्रक्रिया कहते हैं।
प्रकाशीय क्रिया तथा अप्रकाशीय क्रिया में अन्तर
प्रकाशीय क्रिया
1. इस क्रिया में प्रकाश की आवश्यकता होती है।
2. यह प्रक्रिया पत्तियों के क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना (Grana) भाग में होती
हैं।
3. इस क्रिया में प्रकाश का अवशोषण किया जाता है।
4. इस क्रिया में CO2, का स्थिरीकरण नही होता है।
5. इस क्रिया में जल का विघटन H2 एवं 02. का उत्पादन होता है
अप्रकाशीय क्रिया
1. इसमें नही होती हैं।
2 यह क्रिया क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा (stroma) भाग में होती हैं।
3. इस क्रिया में प्रकाश का अवशोषण नही होता है।
4.इस क्रिया में CO2, का स्थिरीकरण किया जाता है।
5.इस क्रिया में CO2, का स्थिरीकरण द्वारा कार्बोहाइड्रेट बनता है।
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले दो कारक होते हैं जो क्रमशः बाह्य कारक तथा आन्तरिक कारक कहलाते हैं।
1)बाह्य कारक
इसमे वे कारक आते हैं जो पौधे के बाहर रहकर इस क्रिया को प्रभावित करते हैं प्रमुख बाह्य कारक निम्नलिखित हैं
(1) प्रकाश
(2) CO2,
(3) तापक्रम
(4) पानी
(5) ऑक्सीजन
(i) प्रकाश (Light) - प्रकाश की तीव्रता बढ़ने से प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दर
बढ़ जाती हैं, लेकिन बहुत तीव्र
प्रकाश होने पर यह क्रिया रूक जाती है।
(ii) कार्बनडाइऑक्साइड (CO2):- वायुमंडल में CO2, की मात्रा करीब 0.03% से 0.04% के बीच होती है जिसके साथ ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी घटती बढ़ती है लेकिन ज्यादा CO2 की मात्रा पर क्रिया की दर धीमी हो जाती है।
(iii) तापक्रम (Temperature) :- प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिये तापक्रम 25-35°C सबसे उपयुक्त माना गया है लेकिन अगर तापक्रम कम या अत्यधिक होती है तो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी प्रभावित होती है।
(iv) पानी (Water) :- पानी अपचायक हाइड्रोजन छोड़ता है इसलिये इसकी कम मात्रा में ही आवश्यकता होती है लेकिन अत्यधिक कम होने पर स्टोमेटा के बंद होने कारण CO2, का विसरण प्रभावित होता है जिससे प्रकाश संश्लेषण की दर घट जाती है।
(v) ऑक्सीजन (O2): - आक्सीजन सीधे प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित नही करती है परन्तु यह देखा गया है कि वातावरण में O2, की सान्द्रता बढ़ने पर प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
(2) आन्तरिक कारक (Internal factors)
इसके अन्दर वे कारक पाये जाते हैं जो पौधे के शरीर में ही उपस्थित रहते हैं। ये निम्नलिखित है
(i) हरितलवक सामान्य रूप से इसकी मात्रा इस क्रिया पर कोई प्रभाव नही डालती लेकिन इसकी अनुपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो सकती है।
(ii) पत्ती की रचना प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पत्ती की संरचना भी प्रभाव डालती है अगर पत्ती सीधी, सामान्य तथा सरल हो तो प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती है लेकिन अगर पत्ती मुडी हुई हो या जटिल हो तो क्रिया की दर कम हो जाती है क्योंकि रंघ पत्तियों में ही उपस्थित रहते हैं।
(iii) जीव द्रव्यीय कारक- कोशिका द्रव्य में कुछ ऐसे प्राकृतिक एन्जाइम पाये जाते हैं जोप्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करते हैं।
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