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Causes, Effects, Control Measures of Noise Pollution
ध्वनि प्रदूषण(Noise pollution)
शोर की तीव्रता तथा अवधि भौतिक आराम को प्रभावित करती है तथा श्रवण शक्ति,
शारीरिक सन्तुलन आदि को स्थायी तथाअस्थायी रूप
में हानि पहुँचाती हैं।
वायुमण्डल में उत्पन्न की गई अवांछित
ध्वनि, जिसका मानव तथा अन्य
प्राणियों के श्रवण-तंत्र एव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, धवनि-प्रदूषण कहलाता है। वस्तुत जब किसी भी
स्रोत से निकली हुई ध्वनि असह्य हो जाती है तो वह प्रदूषण बन जाती है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण:( Due to noise pollution)-
(क) प्राकृतिक कारण:( Natural causes )-
बादल का गरज, वर्षा का शोर,
भू-स्खलन,
भूकम्प के समय
खिड़कियों आदि के कम्पन से शोर ज्वालामुखी के फटने का शोर आदि ।
(ख) कृत्रिम स्रोत:-( Artificial source )-
ऐसे शोर दो प्रकार के होते हैं:
1.अचल स्रोतों से शोर:( Noise from fixed sources )-
· घरेलू उपकरणों जैसे- पंखें, वाशिंग मशीन, कूलर आदि से शोर
· संचार साधनों से शोर ।
· विवाह, दावतों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कीर्तनों, अजान, चुनाव प्रचार आदि के कारण शोर ।
· कल-कारखानों से उत्पन्न शोर ।
2. चल स्रोतों से शोर:( Noise from moving sources )-
सड़क परिवहन, रेल परिवहन,
वायु परिवहन, रॉकेट आदि के कारण उत्पन्न शोर ।
ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव Effects of noise pollution ) -
- अधिक अवधि की तीव्र ध्वनि आन्तरिक कान के लिए हानिकारक होती है तथा मनुष्य को बहरेपन की ओर ले जा सकता है।
- ध्वनि आराम तथा निद्रा में विघ्न उत्पन्न करती है। इससे मानसिक तनाव तथा चिड़चिड़ापन उत्पन्न होता है।
- ध्वनि रूधिर वाहिनियों में संकुचन पैदा करके रूधिर प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकत
- शोर प्रदूषण से आँख का तारा फैल जाता है तथा पेशियों में तनाव बढ़ता है ।
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय:( Measures to control noise pollution)-
- ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कानून बनाये जायें।
- अधिक ध्वनि करने वाले वाहनों को सड़कों पर चलने से रोकना चाहिए।
- अस्पताल आदि क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का ध्वनि करने की रोक होनी चाहिए।
- ध्वनि उत्पन्न होने पर कानों को ढक लेना चाहिए। ऐसे स्थानों से हट जाना चाहिए तथा कानों में रूई लगा लेनी चाहिए।
- ध्वनी प्रदूषण तथा उसके घातक प्रभावों के प्रति जनसाधारण में चेतना उत्पन्न करनी चाहि
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