बायोगैस | ऊर्जा | लाभ | | ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण | Biogas | Energy | Benefits | , Conservation of energy resources |

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बायोगैस | ऊर्जा | लाभ | | ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण | Biogas | Energy | Benefits | , Conservation of energy resources |

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Biogas|Energy|Benefits|Conservation of energy resources

बायोगैस ऊर्जा (Biogas Energy)

बायोगैस ऊर्जा की परिभाषा Definition of biogas energy - 

बायोगैस गोबर, मल-मुत्र, कुड़ा-करकट, अपशिष्ट पदार्थ बेकार पड़ी वनस्पति एवं अन्य जैविक पदार्थ को वायु की अनुपस्थिति में सड़ाकर एवं जलाकर जो ऊर्जा प्राप्त की जाती है, उसे बायोगैस ऊर्जा कहते हैं। बायोगैस में मीथेन की अधिकता रहती है। जो एक उत्तम प्रकार की धुआरहित ईंधन है। इसका रासायनिक घोल एक प्रकार का कार्बनिक उर्वरक है, जिससे उत्तम प्रकार की खाद तैयार होती हैं

बायोगैस से प्राप्त ऊर्जा सबसे सस्ती होती है तथा इससे किसी भी प्रकार प्रदूषण भी नहीं होता है। वर्तमान समय में भारत में प्रतिवर्ष लगभग एक अरब पैतीस करोड़ मीट्रिक टन गोबर एवं पशुअपशिष्ट प्राप्त किया जा रहा है। जिससे बायोगैस तैयार कर 75 प्रतिशत से अधिक बिजली की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।

भारत में बायोगैस उत्पादन की प्रगति तीव्र गति से हो रही है। इस कारण निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक बायोगैस प्लाण्ट लगाए जा रहे हैं। देश में इसी तरह के 4000 से अधिक बायोगैस संयंत्र लगाए जा चुके हैं, ताकि बायोगैस ऊर्जा गांवों में ऊर्जा संकट को समाप्त कर ग्रामीण विकास में अहम् भूमिका निभा सके।

    बायोगैस से लाभ:( Biogas benefits )-

    1)     बायोगैस से रसोई के लिए ईंधन मिलता है।

    2)  बायोगैस से कम्पोस्ट खाद बनाई जाती हैं जो दोगुनी से चार गुनी अधिक उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है।

    3)     इससे धुआं नहीं निकलता अतः प्रदूषण रहित होता है।

    4)     इसका अपशिष्ट मत्स्य पालन हेतु मछलियों के भोजन में भी काम आता है इससे बल्ब भी जला सकते हैं।

    5)     इसके कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से खेतों के हानिकारक जीवाणु भी मर जाते है। 

    जल विद्युत ऊर्जा(Hydroelectric power) -

    जल विद्युत ऊर्जा जल से बनाई जाती है। जल कभी समाप्त न होने वाला संसाधन है। भारत में जलविद्युत उर्जा का विशेष महत्व है। भारत में जल-विद्युत का विकास तीव्रगति से हो रहा है, क्योंकि इसका उत्पादन सस्ता है एवं इसका प्रयोग उत्पत्ति के क्षेत्रों से बहुत दूर तक भी किया जा सकता है।

    भारत में महाराष्ट्र में टाटा जल विद्युतक्रम तमिलनाडु में पायाकारा योजना, मैटूर योजना, केरल में पल्लीवासल योजना, कश्मीर में बारामूला योजना, हिमाचल प्रदेश में मण्डी योजना तथा उत्तर प्रदेश में गंगानहर ग्रिड योजना द्वारा विद्युत उर्जा उत्पन्न की जाती है। पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत भाखड़ा नांगल, दामोदर, कोशी, हीराकुण्ड, तुगमद्रा, चम्बल, रिहन्द आदि योजनाएं पूरी की जा चुकी है और कई योजनाएं निर्माणाधीन है। जिनके शीघ्र ही कार्यरूप में परिणित होने की आशा है।

    शहरी कचरे की ऊर्जाः(Urban waste energy ) -

    दिल्ली शहर में ठोस पदार्थों के रूप में कूड़े-कचरे से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एक संयंत्र परीक्षण के तौर पर कार्य कर रहा है। इससे प्रति वर्ष 4 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होता है। देश के कई अन्य नगरों में ऐसे ऊर्जा संयंत्र लगाए जा रहे हैं। गन्ने की खोई से चलने वाले बिजली घर:

    भारत में गन्ने से चीनी बनाने के कई कारखाने हैं। गन्ने की पेराई के मौसम में इन कारखानों में खोई से 2000 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली बनाई जा सकती है। एक कारखाना 10 मेगावॉट बिजली बना सकता है, जिसमें से 4 मेगावॉट बिजली का उपयोग कारखाने की निजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हो सकता है। शेष 6 मेगावाट बिजली को स्थानीय ग्रिड में भेजकर खेतों की सिंचाई की जा सकती है।


    ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण:( Conservation of energy resources ) -

    ऊर्जा के संसाधन सीमित है। जिनका निरंतर उपयोग होता जा रहा है। अतः इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है । कोयला खानों को बाढ़ के पानी से बचाना चाहिए। कोयले की खुदाई करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। खदानों से सम्पूर्ण कोयले का खनन करना चाहिए। इसे वर्षा व नमी से बचाना चाहिए

    खनिज अत्यन्त सीमित हैं। अतः इनका उपयोग अत्यावश्यक कार्यों चाहिए। देश अवसादी शैलों वाले क्षेत्रों व समुद्रतली नीचे खनिज अतः इसे आग बचाने उपाय भू-गर्भ व समुद्र तली निकालते समय होने वाले बर्बादी को रोकना

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